NEWS: बंगला-बगीचा मामले के संशोधन में किये कौन से प्रयास, कांग्रेस नेता तरूण बाहेती का आरोप, राहत दिलाने के लिए भी नहीं लिखा पत्र, सांसद-विधायक से तीखे सवाल, पढ़े खबर

बंगला-बगीचा मामले के संशोधन में किये कौन से प्रयास, कांग्रेस नेता तरूण बाहेती का आरोप, राहत दिलाने के लिए भी नहीं लिखा पत्र, सांसद-विधायक से तीखे सवाल, पढ़े खबर

NEWS: बंगला-बगीचा मामले के संशोधन में किये कौन से प्रयास, कांग्रेस नेता तरूण बाहेती का आरोप, राहत दिलाने के लिए भी नहीं लिखा पत्र, सांसद-विधायक से तीखे सवाल, पढ़े खबर

नीमच। शहर की बंगला-बगीचा व्यवस्थापन में संशोधन के लिए लेकर सांसद सुधीर गुप्ता, विधायक दिलीपसिंह परिहार एवं अन्य निर्वाचित जनप्रतिनिधियों ने जनता को राहत दिलाने के लिए आज तक शासन को एक पत्र भी नही लिखा और ना भी कोई गम्भीर प्रयास किये जिससे बंगला बगीचा रहवासियों की मदद हो सके। अगर इस मामले में उन्होंने कोई प्रयास किये तो वे जनता को बताएं ताकि नीमच शहर की जनता को भी पता चले कि बंगला-बगीचा समस्या समाधान के नाम बनाए गए मसौदे की खामियों को दूर कराने सांसद विधायक क्या कर रहे हैं। अन्यथा वे बंगला-बगीचा समाधान को ज्यादा जटिल एवं अधिक समस्याकारी बनाने पर जनता से  माफी मांगे। 

यह तीखे सवाल कांग्रेस नेता तरूण बाहेती ने सांसद, विधायक एवं सत्ता में रहे जनप्रतिनिधियों से किए हैं। उन्होंने आरोप लगाया कि, बंगला बगीचा के संशोधन को लेकर आज तक एक बयान तक सांसद, विधायक ने जारी नहीं किया है कि, वे नीमच की जनता को इस काले कानून से राहत दिलवाएंगे। कांग्रेस नेता बाहेती ने कहा कि निर्वाचित जनप्रतिनिधियों का फर्ज होता है। अपने क्षेत्र के लोगों को अधिकाधिक फायदा करें एवं उन्हें समस्यायों से निजात दिलाएं लेकिन बंगला बगीचा समस्या के नाम पर नीमच से लेकर भोपाल तक उनकी सत्ता होने के बावजूद उन्हें नीमच वासियों पर यह काला कानून लाद दिया जिसका हर्जाना नीमच वासियों को भुगतना पड़ रहा हैं। विडंबना यह है कि इन्ही नेताओ ने बंगला-बगीचा समस्या समाधान के नाम अनेक खामियों से भरा एक मसौदा लागू करवा दिया,लेकिन अब नीमच में आंदोलन शुरू होने के बाद भी चुपचाप बैठे  है और कोई जवाब तक नही दे रहे है। 

बाहेती ने कहा कि बंगला-बगीचा समस्या के समाधान को लेकर नीमच के सांसद-विधायक और भाजपा से जुड़े लोगों ने अब तक क्या प्रयास किए, यह सार्वजनिक होना चाहिए। बंगला बगीचा समाधान की झूठी वाहवाही लेने वाले नेता इस व्यवस्थापन कानून को लेकर और व्यवस्थापन मसौदे के विरुद्ध शासन को कोई पत्र भी नहीं लिख पाए, अगर कोई पत्र लिखा हो तो उसे जनता के समक्ष सार्वजनिक कर बताए कि जनहित में कार्य कर रहे हैं। नही तो यही माना जाएगा कि, आपने जानबूझकर जनता पर खामियों भरा बंगला-बगीचा व्यवस्थापन का काला कानून लाद दिया है। बाहेती ने कहा कि कांग्रेस के पन्द्रह महीने के कार्यकाल में इस समस्या का समाधान के लिए समुचित प्रयास की तैयारी की गई थी एवं व्यवस्थापन की दरें कम करने को लेकर प्रस्ताव भोपाल भेजा गया था लेकिन कांग्रेस सरकार चले जाने से समाधान नहीं हो पाया।

वसीयतनामा हिबानामा नहीं मानने कि कोई शर्त नहीं-

कांग्रेस नेता बाहेती ने कहा कि आखिर निर्वाचित जनप्रतिनिधियों को बंगला-बगीचा वासियों से ऐसी क्या दुश्मनी है,जिसके कारण वे सही बात तक नही बोलना चाहते। बाहेती ने आरोप लगाया कि बंगला-बगीचा व्यवस्थापन मसौदे में कहीं भी यह नहीं लिखा की वसीयतनामा,हिबानामा मान्य नहीं करना है,या लिंक रजिस्ट्री मांगने का प्रावधान है। फिर क्यों नीमच जिला प्रशासन वसीयतनामा,हिबानामा अन्य पंजीकृत दस्तावेज को मान्य नहीं कर रहा है,लेकिन निर्वाचित जनप्रतिनिधियों ने इसके विरुद्ध भी कोई आवाज नहीं उठाई ना ही इस मामले में जिला कलेक्टर व अन्य अधिकारियों से इस बारे में बात करने के प्रयास किए। ऊपर से यह तुगलकी फरमान और लगवा दिया कि जल्दी ही व्यवस्थापन के आवेदन नहीं कराने पर बेदखली की कार्रवाई होगी। ऐेसे में बड़ा सवाल यह है कि जनप्रतिनिधि ऐसे तो नहीं होते है,जनप्रतिनिधि तो ऐसे होते हैं जो जनता के हित में काम करें और हमारे यहां तो निर्वाचित जनप्रतिनिधियों को जनता के हीत से कोई सरोकार नहीं है।

जनता के आंदोलन को कर रहे नजरअंदाज

नीमच की जनता ने बंगला बगीचा समाधान में संशोधन के लिए जन आंदोलन शुरू कर दिया है। जिसमें घर-घर बोर्ड लगाकर एक चेतावनी दी जा रही है की समस्या का समाधान नहीं तो वोट नहीं उसे भी सत्ताधीश नेता जानबूझकर नजरअंदाज कर रहे हैं । पिछले दिनों बंगला बगीचा रहवासी जिले की प्रभारी मंत्री,विधायक से नीमच डाक बंगले में मिले थे जहाँ उन्होंने नेताओं से समस्या समाधान की बात कही लेकिन वहां पर भी उन्हें उल्टे लौटा दिया गया और कोई ठोस कार्यवाही की बात नहीं कही। अब सवाल यह है कि आखिर बंगला बगीचा वासी जाए तो कहां जाए आज उनकी कोई सुनने वाला नहीं है और निर्वाचित विधायक सांसद कानों में तेल डालकर बैठे हुए हैं। ऐसे में अब एक बड़ा जन आंदोलन ही इस समस्या के समाधान का एकमात्र रास्ता बचा है।