BIG NEWS: अंग्रेजों के जमाने से चले आ रहे उर्दू और फारसी शब्द, अब पुलिस ढूंढ रही रूपांतरण, डिक्शनरी से बाहर करने की तैयारी, पढ़े खबर और देखें लिस्ट

अंग्रेजों के जमाने से चले आ रहे उर्दू और फारसी शब्द, अब पुलिस ढूंढ रही रूपांतरण, डिक्शनरी से बाहर करने की तैयारी, पढ़े खबर और देखें लिस्ट

BIG NEWS: अंग्रेजों के जमाने से चले आ रहे उर्दू और फारसी शब्द, अब पुलिस ढूंढ रही रूपांतरण, डिक्शनरी से बाहर करने की तैयारी, पढ़े खबर और देखें लिस्ट

रतलाम। पुलिस विभाग में समय के साथ-साथ हर चीज अपडेट हो गई है, लेकिन विभाग में अंग्रेजों के जमाने से चले आ रहे उर्दू और फारसी के शब्दों का उपयोग आज भी हो रहा है, चूंकि ये शब्द बोलचाल की भाषा में उपयोग नहीं होते हैं, इस कारण कई बार लोग इन्हें समझ भी नहीं पाते। यही कारण है कि, पुलिस ने अब इन शब्दों को बदलने की ठान ली है। जिसके चलते पुलिस इन शब्दों के हिंदी रूपांतरण भी खोज रही है।

दरअसल, पुलिस इन दिनों अंग्रेजों के जमाने से चलन में आए हुए उर्दू और फारसी के 220 शब्दों का हिंदी रुपातंरण खोज रही है। पुलिस के विकास के साथ-साथ अपराध के अनुसंधान के तरीके बदल गए, लेकिन इन शब्दों को अब तक नहीं बदला गया। अब पुलिस आम दिनों में उपयोग में आने वाली पुलिसिया भाषा के हिंदी शब्दों को याद करने में लगी हुई है। इसके लिए प्रशिक्षण भी थाना अनुसार दिया जा रहा है।

असल में बदलाव के दौर में पुलिस के पास आधुनिक तकनीक है। ऐसे में रतलाम पुलिस सीसीटीनएस में काम कर रही है। उसमें उर्दू और फारसी के शब्द लिखने में परेशानी आती है। लंबे समय से पुलिस में काम करने वाले आरक्षक और मुंशी तो रटे हुए शब्द बोलते हैं, लेकिन इनको अधिकतर उर्दु या फारसी शब्दों का अर्थ तक नहीं पता है। आला अधिकारियों के अनुसार लिखा पढ़ी में उर्दू और फारसी के शब्द इस्तेमाल होंगे। ऐसा कोई नियम नहीं है। सिर्फ चलन चल रहा है।

इन शब्द पर भी लगी रोक- 

फौती, इस्तगासा, अर्दली, इमदाद, तहकीकात, दफा, इत्तला करना, कलम बंद करना सहित उर्दू, फारसी के कई शब्दों का इस्तेमाल पुलिस की लिखा पढ़ी में हो रहा है। अब इनके उपयोग पर रोक लगी है।

इन शब्दों का ज्यादा इस्तेमाल- उर्दु या फारसी - हिंदी शब्द

अदम तामील - सूचित न होना, अदम तकमीला - अंकन न होना, अदम पैरवी - बिना देखरेख, अदम मौजूदगी - बिना उपस्थिति, अहकाम - महत्वपूर्ण, इंद्राज - अंकन, इमरोजा - दिनांक एक ही दिन की कार्रवाई, खयानत - हड़पना, गोस्वारा - नक्शा, दीगर - दूसरा, नकबजनी - सेंध, माल, मशरूका - संपत्ति, मजरूब - पीडि़त, मुचलका - व्यक्तिगत पत्र, मुजामत - झगड़ा, रोजनामचाआम - सामान्य दैनिकी, रोजनामचाखास - अपराध दैनिकी, सफीना - बुलावा पत्र, हिकमत अमली - तरीके से कार्य को पूर्ण कराना, मातहत - अधीनस्थ, नकल रपट - किसी लेख की नकल

भले अटपटे, लेकिन चलन में है- 

सेवानिवृत एसडीओपी के अनुसार यह भले शब्द अटपटे लगते है, लेकिन चलन इनका ही है। पहले बोलचाल में इनका इस्तेमाल नहीं किया था। फिर याद होते चले गए। इस उर्दू व फारसी शब्द के बजाए हिंदी शब्द के उपयोग करने का आदेश गत वर्ष आया था, लेकिन इस पर अमल धीरे हो रहा है।

हिंदी हमारी राष्ट्रभाषा- 

हिंदी हमारी राष्ट्रभाषा है। इसलिए हिंदी को बढ़ावा देने के लिए कहा गया है। कुछ परंपरागत शब्दों का हिंदी अर्थ तलाशकर उन शब्दों का उपयोग करने को कहा गया है।- अभिषेक तिवारी, रतलाम पुलिस अधीक्षक