BIG NEWS: सैकड़ों आशा-ऊषा कार्यकर्ता पहुंची जिला कलेक्टोरेट कार्यालय, इन मांगों को लेकर CM के नाम सौंपा ज्ञापन, दी आंदोलन की चेतावनी, पढ़े खबर

सैकड़ों आशा-ऊषा कार्यकर्ता पहुंची जिला कलेक्टोरेट कार्यालय, इन मांगों को लेकर CM के नाम सौंपा ज्ञापन, दी आंदोलन की चेतावनी, पढ़े खबर

BIG NEWS: सैकड़ों आशा-ऊषा कार्यकर्ता पहुंची जिला कलेक्टोरेट कार्यालय, इन मांगों को लेकर CM के नाम सौंपा ज्ञापन, दी आंदोलन की चेतावनी, पढ़े खबर

नीमच। आशा-उषा एवं आशा सहयोगी संयुक्त मोर्चा ने जिला कलेक्टर कार्यालय में पहुंचकर सीएम शिवराज के नाम ज्ञापन सौंपा है। ज्ञापन में आशा-उषा सहयोगियों ने अपनी मांगों को पूरा करने बात कहीं है, और मांगे पूरी नहीं होने पर फिर से हड़ताल की चेतावनी भी दी। 

जानकारी के अनुसार शनिवार को बड़ी संख्या में  आशा-उषा कार्यकर्ता जिला कलेक्टोरेट कार्यालय पहुंची। जहां उन्होंने सीएम शिवराज सिंह चैहान के नाम ज्ञापन सौंपा है। 

ज्ञापन में उन्होंने बताया कि, प्रदेश में राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन नियुक्त आशा एवं पर्यवेक्षक आज स्वास्थ्य विभाग में प्रमुख मैदानी कार्यकर्ता के रूप में काम कर रही हैं। पूरे देश में मातृ एवं शिशु मृत्यु को रोकने के विभाग के अभियानों को कठिन परिस्थितियों में संचालित करने, ग्रामीण अंचलों में स्वास्थ्य सेवायें उपलब्ध कराने, महामारी से निबटने में आशाओं की भूमिका आदि आशाओं के काम के महत्व को मान्यता देते हुये विश्व स्वास्थ्य संगठन ने देश एवं प्रदेश की आशाओं को ग्लोबल हेल्थ लीडर की उपाधि देते हुये 6 अंतर्राष्ट्रीय अवार्डो से नवाजा है। 

मध्य प्रदेश की अधिकांश आशायें मात्र 2000 रुपये के अल्प वेतन में गुजारा करने के लिये विवश हैं, यह राशि भी केन्द्र सरकार द्वारा देय है। आन्ध्र प्रदेश सरकार अपनी ओर से 8 हजार मिलाकर आशा को 10 हजार रुपये का मानदेय देते है, तेलंगाना में राज्य सरकार 7 हजार 500 रुपये मिलाकर 9 हजार 500 रुपये देते हैं। इसी तरह केरल, महाराष्ट्रा, हरियाणा सहित सभी राज्य सरकारें आशा एवं पर्यवेक्षकों को अपनी ओर से अतिरिक्त मानदेय दे रही है, लेकिन मध्य प्रदेश सरकार ने आशा एवं पर्यवेक्षक को अपनी ओर से विगत 15 वर्षों से कुछ भी नही दिया।

आशाओं के काम का पर्यवेक्षण करने वाला आशा पर्यवेक्षकों को जो वेतन दिये जा रहे है वेतन, सरकार के न्यूनतम वेतन में अकुशल श्रमिक के न्यूनतम वेतन की दर से भी कम है, यह न तो व्यावहारिक है और न ही न्यायसंगत है। लगातार बढ रही महंगाई के चलते आशा एवं पर्यवेक्षकों को मिल रहे वेतन का असली मूल्य लगातार घट रहा है और साथ ही जीवन के स्तर में भी गिरावट जारी है। इसके बाद भी सरकार आशा एवं पर्यवेक्षकों के वेतन वृद्धि की मांग को लगातार नजरअंदाज किया जा रहा है। सरकार का यह रवैया प्रदेश की आशा एवं पर्यवेक्षकों के प्रति सरकार का संवेदनहीनता को दिखाती है।

इस परिस्थिति में आशा ऊषा आशा सहयोगी संयुक्त मोर्चा आह्वान पर आज 14 नवम्बर 2022 से जारी 6 दिन का प्रदेश व्यापी हडताल के समापन पर आयोजित प्रदर्शन के माध्यम से हम पुन: यह मांग करती है कि, वेतन वृद्धि सहित निम्न मांगों का तत्काल निराकरण किया जावे-

(1) मिशन संचालक, राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन, मध्य प्रदेश द्वारा 24 जून 2021 को दिये निर्णय को लागू कर आशा को 10 हजार रु एवं पर्यवेक्षकों को 15 हजार रुपये वेतन/निश्चित वेतन दिया जावे, उसे उपभोक्ता मूल्य सूचकांक से जोड़ा जावे।

(2) आशा, ऊषा, आशा पर्यवेक्षकों को कर्मचारी के रूप में नियमित किया जावे, तब तक न्यूनतम वेतन, भविष्य निधि, ई. एस. आई., ग्रेच्युटी, पेंशन सहित सामाजिक सुरक्षा लाभ दिया जावे। न्यूनतम वेतन 26 हजार रुपये किया जावे।

(3) आशाओं की प्रोत्साहन राशि के भुगतान में पारदर्शिता सुनिश्चित किया जावे। आशाओं के प्रोत्साहन राशि में अनुचित कटौती को रोका जावे। प्रत्येक आशा से अब तक काटी गयी सभी राशियों का एरियर सहित भुगतान किया जावे। 

(4) आशाओं के द्वारा की गयी कोविड वैक्सीनेशन ड्यूटी, डी पी टी बूस्टर वैक्सीन, एनसीडी सर्वे, परिवार नियोजन, निर्वाचन कार्य सहित सभी काम का बकाया प्रोत्साहन राशि का भुगतान किया जावे।

(5) प्रत्येक माह की 5 तारीख को आशा एवं पर्यवेक्षकों का भुगतान सुनिश्चित किया जाने हेतु ठोस उपाय किया जावे।

(6) आशाओं बंधुआ मजदूरों जैसे रूवहार को रोका जावे। आशा एवं पर्यवेक्षकों के लिये विभाग द्वारा निर्धारित कार्य के अलावा अन्य कार्य नही काया जावे।

(7) आशाओं की सभी मीटिंगों एवं पर्यवेक्षकों के वास्तविक यात्रा व्यय का भुगतान किया जावे।

(8) आशा एवं पर्यवेक्षकों को वेतन सहित 20 आकस्मिक अवकाश दिया जावे एवं मेडिकल लीव का ठोस नियम बनाया जाय।

(9) आशा एवं पर्यवेक्षको को शासन के कुशल श्रेणी के न्यूनतम वेतन की दर पर 6 माह का मातृत्व अवकाश एवं अन्य सुविधायें दिया जावे।

(10) बिना किसी जांच के आशाओं की सेवा समाप्ति पर तुरंत रोक लगायी जावे। विगत एक वर्ष में निष्क्रिय आशा बताकर आशाओं की गयी सेवा समाप्ति की जांच कराया जावे एवं जबरन एवं अनुचित तरीके से सेवा समाप्त की गयी सक्रिय आशाओं को बहाल किया जावे।

(11) पेंशन एवं सेवानिवृत्त लाभ लागू किये बिना आशा एवं पर्यवेक्षकों को सेवानिवृत्त न किया जावे। (12) ड्यूटी के दौरान आशा कार्यकर्ताओं की सुरक्षा सुनिश्चित किया जावे।

(13) सभी पीएचसी, सीएचसी और अस्पतालों में सुरक्षित एवं सुविधायुक्त 'आशा रूम' उपलब्ध कराएं।

(14) पीओएसएच कानून लागू करो और शिकायतों पर कार्यवाही सुनिश्चित करो।

(15) स्वास्थ्य के लिये सकल घरेलू उत्पाद का 6 प्रतिशत राशि आवंटित किया जावे। स्वास्थ्य सेवाओं (सरकारी अस्पतालों) सहित सभी बुनियादी सेवाओं के निजीकरण को रोका जावे।

(16) श्रम संहिताओं को वापस लिया जावे। आशा एवं पवेक्षकों को श्रम कानूनों के दायरे में शामिल किया जावे।