NEWS : लोकल फोर वोकल, छात्राओं ने बंधेज कलां के माध्यम से सीखी बारीकियां, वस्त्रों पर उकेरी मनपसंद एवं सुंदर आकृतियां, पढ़े खबर

लोकल फोर वोकल

NEWS : लोकल फोर वोकल, छात्राओं ने बंधेज कलां के माध्यम से सीखी बारीकियां, वस्त्रों पर उकेरी मनपसंद एवं सुंदर आकृतियां, पढ़े खबर

नीमच। सीएम राइज विद्यालय की छात्राएं आत्मनिर्भरता के गुर सिख रही है, देश के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के आत्मनिर्भर भारत और वोकल फ़ॉर लोकल अभियान से प्रेरित होकर सीएम राइज विद्यालय की गृह विज्ञान की छात्राओं ने बंधेज कला के माध्यम से सूती वस्त्रों पर विभिन्न डिजाइन और रंगों से मनपसंद सुंदर आकृतियां उकेरी, विद्यालय की गृह विज्ञान की पूर्व व्याख्याता एवं सेवानिवृत्त प्राचार्य सविता चौधरी ने बताया कि, भारतीय संस्कृति की इस प्राचीन बंधेज कला से तैयार वस्त्रों की मांग आज देश-विदेश के बाजारों में कला प्रेमियों द्वारा बहुतायत से की जाती हैं, एवं इस बंधेज कला से प्रशिक्षित होकर युवतियां इसे स्वरोजगार के रूप में अपनाकर स्वावलंबी होकर प्रधानमंत्री के आत्मनिर्भर भारत और वोकल फ़ॉर लोकल अभियान में सम्मिलित होकर अपना योगदान दे सकती है।

विद्यालय में आयोजित इस एक दिवसीय कार्यशाला में अंचल के तारापुर के जाने माने वस्त्रों पर रंगाई-छपाई के कलाकार, राष्ट्रपति पुरुस्कार से सम्मानित इकबाल हुसैन (मास्टर ट्रेनर-ग्रामीण विकास विभाग, जिला पंचायत) के द्वारा बांधनी कला के विविध रूपों का प्रशिक्षण दिया गया। इस अवसर पर संस्था प्राचार्य किशोर सिंह जैन ने छात्राओ को बांधनी कला को स्वरोजगार के रूप में अपनाने की प्रेरणा देते हुए कहा कि, वर्तमान समय में छात्राओं को सफल और आत्मनिर्भर जीवन जीने के लिए बहुमुखी प्रतिभा में व्यावसायिक दक्ष होना आवश्यक है, साथ ही "मेक इन इंडिया-मेड फ़ॉर वर्ल्ड" के सिद्धांत पर आधारित भारत की औधोगिक नीति का सभी छात्राएं भरपूर  लाभ उठाएं एवं स्वंय को आत्मनिर्भर बनाए।

स्थानीय सीएम राइज विद्यालय केंट के स्वरोजगार के क्षेत्र में गृह विज्ञान संकाय की छात्राओं ने वस्त्रों पर बिखेरा रंगों का जादू बिखेर कर भारतीय संस्कृति की बंधेज कला को पुनः जीवित करने का प्रयास किया। इस बंधेज कला को अमली जामा पहनाने को उत्सुक इस विद्यालय की  सेवानिवृत्त गृह विज्ञान की व्याख्याता श्रीमती सविता चौधरी ने बताया कि गृह विज्ञान में  पाठ्यक्रम अंतर्गत बांधनी कला का प्रशिक्षण विद्यार्थियों को प्रदान करने का प्रावधान है,उसी के अंतर्गत  एक  कार्यशालाआयोजित की गयी जिसमे  में सुंदर कलाकृतियों को सूती वस्त्र पर उतारना सीखा। 

छात्राओं ने सूती कपड़े पर विभिन्न डिजाइने  उकेर कर धागे से  बांधकर कपड़े पर  रंगों का जादू बिखेरा। अति प्राचीन बंधेज कला से तैयार वस्त्रों की मांग आज देश विदेश के बाजारों में कला प्रेमियों द्वारा बहुतायत से की जाती है। भारत में यह कला का उदगम काठियावाड़ से होकर राजस्थान, गुजरात एवं मध्यप्रदेश राज्यों तक प्रचलित है।इस कला में संलग्न होकर महिलाएं घरेलू स्वरोजगार के अवसर प्राप्त कर स्वावलंबी जीवन की डगर पर अग्रसर हो सकतीं हैं।

राजस्थान में सावन के महीने में त्योहारों पर बांधनी,लहरिया की चुंदड़ी का प्रचलन बहुत अधिक एवं मनभावन है। आज इस कार्यशाला का आयोजन नीमच के जाने माने वस्र उद्योगी कलाकार इकबाल हुसैन जी, मास्टर ट्रेनर- “ग्रामीण विकास विभाग जिल पंचायत नीमच” के दक्षतापूर्ण निर्देशन में एवं  संस्था की भूतपूर्व गृहविज्ञान व्याख्याता एवं सेवा निवृत्त प्राचार्य सविता चौधरी के छात्राओं की रुचि अनुसार

प्राचार्य किशोरसिंह जैन ने छात्राओं को बांधनी कला को स्वरोजगार के रूप में अपनाने की प्रेरणा देते हुए कहा कि वर्तमान समय में सफल एवं आत्मनिर्भर जीवन जीने के लिए बहुमुखी प्रतिभा में दक्ष होना छात्राओं के लिए बहुत जरूरी है एवं वर्तमान में “मेक इन इंडिया मेड फॉर वर्ल्ड” के सिद्धांत पर आधारित  भारत की औद्योगिक नीति का सभी छात्राएं भरपूर लाभ उठाएं एवं स्वयं को आत्मनिर्भर बनाएं।उप प्राचार्य महेश  शर्मा ने सविता चौधरी द्वारा सेवानिवृत्त होने के बाद भी विद्यालय की बालिकाओं हेतु समर्पित होकर अपना  समय और श्रम देना प्रशंसनीय है।