NEWS : कृति की काव्य गोष्ठी रहीं गुलजार, 16 से अधिक कवि-कवियित्रियों ने सुनाई अपनी काव्य रचनाएं, बटोरी खूब दाद, पढ़े खबर
कृति की काव्य गोष्ठी रहीं गुलजार, 16 से अधिक कवि-कवियित्रियों ने सुनाई अपनी काव्य रचनाएं, बटोरी खूब दाद,
नीमच। पलाशों के जंगल ये रतनार साये, किसी के भी हो पर हमारे नहीं है...जैसे मन को छू लेने वाले गीत से शहर के युवा कवि धर्मेंद्र शर्मा ने साहित्य प्रेमियों व श्रोताओं को मंत्रमुग्ध कर दिया और खूब दाद बटोरी। नीमच व मनासा सहित अन्य स्थानों से आए 16 से अधिक कवियों व कवियित्रियों ने भी काव्य रचनाएं सुनाकर साहित्य की महफिल को गुलजार कर दिया।
मौका था शहर की साहित्यिक, सांस्कृतिक एवं सामाजिक संस्था कृति की काव्य गोष्ठी का। सात माता मंदिर के पास श्री परशुराम महादेव मंदिर परिसर में 30 अप्रैल रविवार की रात करीब 9 बजे कृति की काव्य गोष्ठी हुई। गोष्ठी की कृति अध्यक्ष इंजीनियर बाबूलाल गौड़ ने स्वागत भाषण दिया। इसके उपरांत ओमप्रकाश चौधरी के संयोजन व संचालन में गोष्ठी की शुरुआत हुई। सरस्वती वंदना रेणुका व्यास ने सुंदर तरीके से प्रस्तुत कर मां वीणापाणी की स्तुति की। मनासा के आशू कवि भेरूलाल सोनी ने कविता ‘हवाओं से महरूम रह जाते हैं वे लोग, जिन घरों में खिड़कियां नहीं होती’, किशोर जेवरिया ने खत, कलम और मेरी जिंदगी, डॉ. माधुरी चौरसिया ने प्यार आदमी का आदमी के लिए, पुष्पलता सक्सेना ने जमाने का श्याणा, वक्त पर वक्त की बात सुनो, आशा सांभर ने इंसान जाने कहां खो गए, प्रियंका कविश्वर ने मेरी कविताएं, बंटवारा, कुशाल तिवारी ने हे समय गुजरा सुबह-शाम होते-होते, महिपाल सिंह चौहान ने घटाटोप अंधियारे में एक दीप जलाने आया हूं,
कैलाशचंद्र सेन ने दर्द अपना सभी को बताना जरूरी नहीं, वंदना योगी ने तुम्हारे साथ चल रहे हैं, तुम्हारे संग ही चला करेंगे, अधिवक्ता वर्षा जैन (पटवा) ने मां जब बुढ़ी हो जाती है, चरपाई पर बैठकर खाती है, बहू की आंख की किरकिरी बन जाती है, पंकज धींग ने जीतकर भी हारे-हारे फिरते हैं, रेणुका व्यास ने हां, मैं नारी हूं, पवन नहीं जो रूक जाऊं एवं अख्तर अली शाह ने प्यार लुटाने वाले भी हार गए आदि कविताएं, मुक्तक व साहित्य रचनाएं सुनाई और काव्य व साहित्य का समां बांध दिया। गोष्ठी में सबसे युवा साहित्यिकार व कवि के रूप में सुश्री पुरू त्रिवेदी ने एक शरीर मैं, एक शरीर तू सहित अन्य रचनाएं सुनाई और सभी श्रोताओं का मन मोह लिया। 2 घंटे से अधिक समय तक चली काव्य गोष्ठी में शहर के सुधीजन व साहित्य प्रेमियों ने उपस्थिति दर्ज कराई। इस दौरान रघुनंदन पाराशर, भरत जाजू, राजेश जायसवाल, सत्येंद्र सिंह राठौड़, डॉ. अक्षय राजपुरोहित, जीवन कौशिक, सीए डी. मित्तल, नीरज पोरवाल, गणेश खंडेलवाल, महेंद्र त्रिवेदी, डॉ. पृथ्वी सिंह वर्मा, एडवोकेट कृष्ण कुमार शर्मा सहित अन्य विशेष रूप से मौजूद रहे। अंत में आभार प्रदर्शन कृति के सचिव डॉ. विनोद शर्मा ने माना।