OMG ! जवान बेटे ने समझा अपना पिता, दो लोगों का कर दिया अंतिम संस्कार, फिर सोने की चेन ने पलटा मामला, और दफनाए गए शव को निकला बाहर, 15 अगस्त की खौफनाक रात की कहानी...! मामला- MP के इस जिले का, पढ़े ये रोंगटे खड़े कर देने वाली खबर
जवान बेटे ने समझा अपना पिता, दो लोगों का कर दिया अंतिम संस्कार, फिर सोने की चेन ने पलटा मामला, और दफनाए गए शव को निकला बाहर, 15 अगस्त की खौफनाक रात की कहानी...! मामला- MP के इस जिले का, पढ़े ये रोंगटे खड़े कर देने वाली खबर
डेस्क। सीहोर जिले से दिल दहला देने वाला एक मामला सामने आया है। यहां एक बेटे ने दो शवों का अंतिम संस्कार अपने पिता का शव मानकर किया। पिता मध्य प्रदेश में हुई भारी बारिश के कारण हादसे का शिकार हो गए थे। इस पूरे मामले में सवाल प्रशासन पर उठ रहा है कि, उसने डीएनए टेस्ट क्यों नहीं कराया। दोनों शव तो पिता के नहीं हो सकते। तो वो दूसरा शव किसका था, वो भी तो किसी का पिता-बेटा या भाई होगा।
विधि की अजीब विडम्बना का शिकार बने सीहोर के रहने वाले तहसीलदार नरेंद्र ठाकुर भारी बारिश के बीच उनके सीवन नदी में बहने और शव मिलने का जो संजोग बना, वो हमें प्रकृति या कहें नियति की मूक भाषा का भान जरूर करा देती है। सीहोर निवासी तहसीलदार नरेद्र ठाकुर की कार उफनती नदी में जा समायी और उनका कहीं अता पता नहीं चल पाया। कुछ दिन बाद एक बुरी तरह सड़ी गली लाश को नरेन्द्र ठाकुर की मानकर बेटे से उसका अंतिम संस्कार करवा दिया गया। परिवार के जख्म अभी हरे ही थे कि, 14 दिन बाद फिर एक लाश मिली औऱ कहा गया कि, यही नरेन्द्र ठाकुर की लाश है। बेटे ने फिर भारी मन से उसका भी अंतिम संस्कार किया।
15 अगस्त की खौफनाक रात-
सीहोर के मूलनिवासी तहसीलदार नरेंद्र ठाकुर शाजापुर जिले के मोहनबड़ोदिया में पदस्थ थे। 15 अगस्त को झंडावंदन करके वह अपने मूल निवास सीहोर के शुगर फैक्ट्री चौराहा स्थित अपने घर आए थे। उसी दिन शाम अपने चार दोस्तों के साथ वो रफीकगंज स्थित मित्र तरुण सिंह के फार्महाउस में पार्टी के लिए चले गए, रात में करीब 11.39 बजे वो कार से घर लौट रहे थे। कार में उनके साथ पटवारी महेन्द्र रजक भी थे। कार को महेन्द्र ही चला रहे थे। लेकिन भारी बारिश के बीच उनकी कार कर्बला पुल से नीचे उफनती सीवन नदी में जा गिरी। नरेन्द्र और महेन्द्र दोनों कार सहित बह गए।
6 दिन के सर्चिंग अभियान में न जिंदा मिले ना मुर्दा-
पटवारी महेंद्र रजक का शव और डूबी हुई कार सीवन नदी में ग्राम छापरी में 17 अगस्त को सुबह 6 बजे मिल गयी। लेकिन तहसीलदार नरेंद्र ठाकुर का कहीं पता नहीं चल पाया। इसके बाद एसडीआरएफ और एनडीआरएफ ने लगातार 6 दिन तक सर्चिंग की लेकिन नरेन्द्र नहीं मिले न जिंदा न मुर्दा।
350 किमी दूर मिला एक शव-
19 किलोमीटर लंबी सीवन नदी आगे जाकर पार्वती नदी में मिलती है. पार्वती चंबल में और चंबल यमुना में बंगाल की खाड़ी में गिरकर समुद्र में मिल जाती है. ऐसे में पूरा तंत्र परेशान की आखिर नरेन्द्र ठाकुर गए कहां. तभी एक सूचना पुलिस को मिली कि श्योपुर जिले के बड़ोदा तहसील से प्रवाहित पार्वती में कुन्हाजापुरा की पुलिया के पास 6 से 7 दिन पुरानी एक क्षत विक्षत लाश मिली है जो काफी डेमेज है और पूरी तरह निर्वस्त्र है.
बहन-बहनोई और बेटे ने की पहचान-
सूचना के बाद बहन बहनोई और बेटा श्योपुर पहुंचे और तहसीदार नरेंद्र ठाकुर की बॉडी के रूप में इस क्षत विक्षत शव की पहचान की. श्योपुर पुलिस ने 20 अगस्त को शव मिलने के बाद नियमानुसार उसे दफना दिया. चार दिन बाद 24 अगस्त को श्योपुर पहुंचे मृतक तहसीलदार के बहन-बहनोई और इकलौते बेटे ने भारी मन से क्षत विक्षत शव की पहचान तहसीलदार नरेंद्र ठाकुर के तौर पर की. क़ानूनी कागजी कार्रवाई पूरी कर शव को लेकर सड़क मार्ग से सीहोर रवाना हो गए. शव का 25 अगस्त को विधि विधान के साथ अंतिम यात्रा निकाल कर सीहोर के इंद्रा नगर श्मशान में दाह संस्कार किया गया.
तेरहवीं के अगले दिन मिली एक और लाश-
इस बीच मंडी थाने को 10 सितंबर को सूचना मिली कि सीवन ग्राम सेवनिया के पास नदी का पानी कम होते ही एक गड्डे नुमा स्थान में एक शव दिखा जो काफी क्षत विक्षत है. शव के ऊपर लाल टी शर्ट और लोअर देखकर पुलिस भी चक्कर में पड़ गयी. क्योंकि नरेन्द्र के परिवार ने रिपोर्ट में यही लिखवाया था कि अंतिम समय में नरेन्द्र लाल टी शर्ट और लोअर पहने हुए थे. राजस्व संघ के अधिकारी भी इस शव का परीक्षण करने पहुंचे. लोगों में काना फूसी शुरू हो गयी. क्योंकि सभी को ये शव नरेन्द्र ठाकुर का लग रहा था. अब सवाल ये था कि अगर ये नरेन्द्र हैं तो वो किसकी लाश थी जिसे नरेन्द्र ठाकुर मानकर अंतिम संस्कार किया गया.
हादसे के 26 वें दिन मिला एक और शव-
सीवन नदी के तेज बहाव में जहां पटवारी महेंद्र रजक का शव मिला था उससे महज 50 फीट की दूरी पर एक औऱ शव घटना के 26 वें दिन नजर आया. तहसीलदार के परिवार से फिर से इस शव की शिनाख्त करवायी गयी. लेकिन उनकी पहचान से परिवार ने इनकार कर दिया. इधर पुलिस ने इसे जमीन में दफना कर मर्ग कायम कर जांच शुरू कर दी.
शव पर सोने की चेन ने पलटा मामला-
आखिरकार मंडी थाना पुलिस ने मृतक के बेटे पुष्पेंद्र को थाने में बुलाकर एक बार फिर अज्ञात शव से मिले कपड़े और सोने का लॉकेट दिखाया. रुआंसे गले से बेटे पुष्पेंद्र ने पहचान की कि ये शव हमारे पिता नरेंद्र ठाकुर का है। बस फिर क्या था मंडी थाना पुलिस ने दफनाए गए शव को 16 सितम्बर को बाहर निकलवाया और उसे परिवार को सौंप दिया। एक बार फिर बेटे ने सम्मान पूर्वक तरीके से इंद्रा नगर श्मशान में ले जाकर शव का विधि विधान से अंतिम संस्कार कर दिया।