NEWS: सामाजिक संस्था कृति ने किया विचार गोष्ठी का आयोजन, बादल सरोज ने भारतीय दर्शन की गौरवशाली धाराएं पर दिया अपना व्याख्यान, स्वामी विवेकानंद को लेकर कहीं ये बात, पढ़े खबर

सामाजिक संस्था कृति ने किया विचार गोष्ठी का आयोजन, बादल सरोज ने भारतीय दर्शन की गौरवशाली धाराएं पर दिया अपना व्याख्यान, स्वामी विवेकानंद को लेकर कहीं ये बात, पढ़े खबर

NEWS: सामाजिक संस्था कृति ने किया विचार गोष्ठी का आयोजन, बादल सरोज ने भारतीय दर्शन की गौरवशाली धाराएं पर दिया अपना व्याख्यान, स्वामी विवेकानंद को लेकर कहीं ये बात, पढ़े खबर

नीमच। साहित्यिक, सांस्कृतिक, सामाजिक संस्था कृति द्वारा गत दिवस एक विचार गोष्ठी का आयोजन गायत्री मंदिर सभागृह नीमच पर किया गया। जिसमें प्रसिद्ध लेखक, चिंतक, विचारक एवं समाचार पत्र लोकजतन भोपाल के सम्पादक बादल सरोज ने भारतीय दर्शन की गौरवशाली धाराएं विषय पर अपना व्याख्यान देते हुए कहा कि स्वामी विवेकानंद जैसे विचारवान व्यक्ति दूसरे हो नहीं सकते। जिन्होंने भारतीय दर्शन को पूरे विश्व में पहुंचाया। उन्होंने महात्मा बुद्ध के दर्शन का विश्लेषण करते हुए कहा कि प्रश्न उठाओगे तो समाधान मिलेगा।

बादल सरोज ने कहा कि मनुष्य में दर्शन का विकास लगभग पांच हजार साल पुराना है। वेदों में दार्शनिकता नहीं है, ऋग्वेद मनुष्य की आकांक्षाओं की कविता है। दार्शनिक रूप से दर्शन का विकास उपनिषदों से हुआ है। हमारे देश का दुर्भाग्य है कि उपनिषदों की भाषा आम जन की भाषा नहीं है। इस वजह से उसके दर्शन को हम सही रूप में नहीं समझ पाये। पहले जिनमें ज्ञान था वे राज करते थे, फिर जिनमें शक्ति थी वे राज करते थे। आज जिनके पास पैसा है वे राज कर रहे हैं। अब वह वक्त आयेगा जो श्रम कर रहे हैं वह राज करेंगे। बादल सरोज ने रामायण, महाभारत की चर्चा करते हुए कहा कि ये दोनों ग्रंथ हैं। जिनमें भारतीयता के प्रमुखता से दर्शन होते हैं।

विचार गोष्ठी के प्रारंभ में कृति के नवनिर्वाचित अध्यक्ष भरत जाजू व सचिव कमलेश जायसवाल ने बादल सरोज का स्वागत किया एवं शॉल श्रीफल व कृति के स्मृतिचिन्ह से सम्मान किया। कार्यक्रम का संचालन डॉ. माधुरी चौरसिया ने किया। इस अवसर पर प्रकाश भट्ट, सत्येन्द्रसिंह राठौड, डॉ. अक्षय पुरोहित, कामरेड शैलेन्द्रसिंह ठाकुर, डॉ. पृथ्वीसिंह वर्मा, मुकेश कासलीवाल, आशा सांभर, सत्येन्द्र सक्सेना, प्रो. आर.एल.जैन, एम.एम. जाधव, नवीन अग्रवाल, अनिल चौरसिया, निरंजन गुप्त राही, किशोर जेवरिया, सतीश भटनागर, डॉ. जीवन कौशिक, बाबूलाल गौड, डॉ. राजेन्द्र जायसवाल, कृष्णा शर्मा आदि अनेक प्रबुद्ध श्रोता उपस्थित थे। आभार कृति के सचिव कमलेश जायसवाल ने व्यक्त किया।