NEWS: नेशनल लोक अदालत का आयोजन सम्पन्न, लम्बित एवं प्रीलिटिगेशन प्रकरणों का हुआ निराकरण, तो आपसी मतभेद भूल एक साथ रहने को राजी हुए पति-पत्नी, पढ़े खबर
नेशनल लोक अदालत का आयोजन सम्पन्न, लम्बित एवं प्रीलिटिगेशन प्रकरणों का हुआ निराकरण, तो आपसी मतभेद भूल एक साथ रहने को राजी हुए पति-पत्नी, पढ़े खबर
नीमच। जिला मुख्यालय तथा तहसील मुख्यालय मनासा, जावद एवं रामपुरा न्यायालय परिसर में राष्ट्रीय विधिक सेवा प्राधिकरण, नई दिल्ली एवं म.प्र. राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण, जबलपुर द्वारा प्रसारित निर्देशों के अनुरूप आज दिनांक 14 मई, 2022 (शनिवार) को नेशनल लोक अदालत का आयोजन हुआ।
जिला न्यायालय परिसर में स्थित ए.डी.आर. सेंटर में सादगी पूर्ण समारोह में मां सरस्वती एवं महात्मा गांधी की प्रतिमा पर पुष्प-माल्यार्पण एवं दीप प्रज्ज्वलन कर, मान. प्रधान जिला न्यायाधीश सुषांत हुद्दार द्वारा नेशनल लोक अदालत का शुभारंभ किया गया।
कार्यक्रम को प्रधान जिला न्यायाधीश सुषांत हुद्दारने सम्बोधित किया। इस अवसर पर सर्वश्री विशेष न्यायाधीश विवेक कुमार श्रीवास्तव, प्रधान न्यायाधीश कुटुम्ब न्यायालय अखिलेष मिश्र, सचिव जिला विधिक सेवा प्राधिकरण विजय कुमार सोनकर, प्रथम जिला न्यायाधीश श्रीमती सोनल चौरसिया, मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट सुश्री संध्या मरावी सहित न्यायाधीशगण, अधिवक्तागण, अभियोजन अधिकारीगण, बैंक एवं अन्य विभागों के अधिकारीगण एवं कर्मचारीगण, प्रेस-मीडियाकर्मी, पत्रकारगण एवं पक्षकारगणों ने सहभागिता की।
उक्त कार्यक्रम के उपरांत गठित खंडपीठों में लोक अदालत की कार्यवाही, खंडपीठों के पीठासीन अधिकारीगण द्वारा प्रारंभ की गई, जोकि सायं 05:30 बजे तक चलती रही। प्रधान जिला न्यायाधीश सुषांत हुद्दार द्वारा सचिव जिला विधिक सेवा प्राधिकरण, नीमच विजय कुमार सोनकर के साथ जिला स्थापना पर गठित सभी लोक अदालत की खण्डपीठों में जाकर कार्यवाहियों का अवलोकन किया।
नेशनल लोक अदालत में कुल 15 खण्डपीठों में न्यायालय में लंबित 3323 प्रकरणों को रैफर्ड किया गया था, जिनमें से 220 प्रकरण लोक अदालत के माध्यम से निराकृत होकर 504 व्यक्ति लाभान्वित हुये। उक्त लंबित प्रकरणों में सेे मोटरयान दुर्घटना के 21 प्रकरण निराकृत हुए। जिनमें करीब 1 करोड़ 25 लाख रूपये का अवार्ड पारित हुआ। न्यायालय में लंबित प्रकरणों में सबसे अधिक 53 चेक बाउन्स के प्रकरण (एन.आई. एक्ट धारा 138 से संबंधित प्रकृति के मामले) उक्त लोक अदालत के माध्यम से निराकृत हुए, जिनमें कुल चैक राशि 55 लाख रूपये का निराकरण हुआ। इसके अतिरिक्त 50 अपाराधिक शमनीय प्रकरण, 38 अन्य सिविल प्रकरण, तथा 21 पारिवारिक विवादों से संबंधित मामले, सहित कुल 220 न्यायालय में लंबित प्रकरण निराकृत हुए।
नेशनल लोक अदालत में कुल 4947 प्रीलिटिगेषन प्रकरण रेफर्ड किये गये थे, जिनमें से 971 प्रकरण उक्त लोक अदालत के माध्यम से निराकृत हुए तथा करीब 78 लाख रूपये की वसुली होकर, 1060 व्यक्ति लाभान्वित हुए।
विशेष प्रकरणों का भी हुआ निराकरण, न्यायालय की समझाईश पर पति पत्नी साथ रहने को राजी-
रीना को अपने पति के मांस खाने से आपत्ति थी, वह इस कारण अपने पति से अलग होकर पिछले 03 वर्ष से अपने माईके रह रही थी, इस दौरान उसने पति के विरूद्ध न्यायालय में भरण-पोषण का वाद पेश किया। मामला लोक अदालत के समक्ष पहुंचने पर पति-पत्नी दोनों को समझाईश दी गई, पति ने मांस खाना बंद करने का आश्वासन दिया, आवेदिका पत्नी एवं पति दोनों एक साथ रहने को राजी हुए और खुशी-खुशी एक साथ न्यायालय से अपने घर गये।
वहीं अंजू और प्रकाश का विवाह वर्ष 2007 में सम्पन्न हुआ था, उनकी दो पुत्रिया चेतना एवं प्रतीका हुई, उसके बाद पति के द्वारा नशा करने एवं मारपीट करने के कारण अंजु अपनी दोनों पुत्रियों के साथ मायके में निवास करने लगी और उसने स्वयं तथा पुत्रियों के भरण-पोषण हेतु न्यायालय में प्रकरण पेश किया था। उक्त मामला लोक अदालत के संज्ञान में लाये जाने पर न्यायालय द्वारा दोनों पक्षों को समझाईश दी गई, समझाईश के दौरान आपसी मतभेद भूलाकर एक साथ रहना स्वीकार किया तथा पति ने नशा नहीं करने का आश्वासन दिया।
इसी प्रकार महेश उर्फ बंटी और उनकी पत्नी मंजु गुर्जर भी आपसी विवाद के चलते 02 वर्ष से अलग रह रहे थे। हिन्दू विवाह अधिनियम के धारा 09 अन्तर्गत प्रकरण न्यायालय में पेश होने पर, सुलहवार्ता के दौरान समझाईश देने पर दोनों पक्ष ने पुरानी सभी बातों को भुलाकर एक साथ रहने का फैसला किया।