HAR HAR MAHADEV: 19 सालों बाद बदला इतिहास, सावन व अधिकमास एक साथ, 58 दिनों का होगा सावन माह, इतने सोमवार होंगे, पढ़े खबर
19 सालों बाद बदला इतिहास, सावन व अधिकमास एक साथ, 58 दिनों का होगा सावन माह, इतने सोमवार होंगे, पढ़े खबर
मंदसौर। भगवान शिव की भक्ति का महापर्व सावन माह आने वाला है। शिवालयों में इसे लेकर तैयारियों शुरु हो चुकी है। इस बार सावन माह 58 दिनों का आ रहा है, तो 8 सावन सोमवार इस अवधि में आएंगे। ऐसे में शिव की भक्ति का यह दौर इस बार लंबा चलने वाला है। शिवालयों में जहां इसकी तैयारियों हो रही है तो भक्त भी अपने आराध्य को मनाने के लिए विशेष तैयारियां कर रहे है।
शहर में विश्वप्रसिद्ध अष्टमुखी भगवान पशुपतिनाथ महादेव की अद्वितीय प्रतिमा है। ऐसे में यहां भक्तों का तांता लगेगा। प्राचीन मान्यताओं के अनुसार शिवालयों में भक्तों की भीड़ उमड़ेगी। सावन का महीना भगवान शिव का पावन महीना कहलाता है। इसका शास्त्रों में भी अलग महत्व है। शिवलिंग को ब्रह्मांड का प्रतीक माना है। इसलिए इसकी पूजा का महत्व है।
भगवान हरि हर को समर्पित रहेगा इस वर्ष सावन माह=-
ज्योतिविर्द ने बताया कि 19 वर्ष के बाद सावन एवं अधिक मास एक साथ होने से सावन 58 दिनों का होगा। विशेष महत्व यह है कि, शेव्य मत का सर्वोत्कृष्ठ माह श्रावण एवं वेष्णव मत का सर्वोत्कृष्ठ माह पुरुषोत्तम मास एक साथ होने से हम भगवान हरि हर की महती कृपा इस समय में होगी। ऐसे में भक्त विशेष-पूजा अर्चना इस दौर में करेंगे। सावन मास में शिवलिंग का रुद्राभिषेक करने का भी विशेष महत्व है।
इस वर्ष एक नहीं दो मास का होगा सावन-
सावन माह की अवधि इस बार एक नहीं बल्कि दो माह की होगी। सावन मास 4 जुलाई को शुरू होगा, और 31 अगस्त तक पर्यंत रहेगा 18 जुलाई से 16 अगस्त तक अधिक मास रहेगा। इस तरह सावन 58 दिनों का होगा। यह दुर्लभ संयोग करीब 11 सालों के बाद बन रहा है।
इस बार सावन में 8 सोमवार होंगे-
सावन के सोमवार के व्रत का खास महत्व माना गया है। हर साल 4 या 5 सावन के सोमवार के व्रत होते हैं, लेकिन इस बार सावन के सोमवार 4 या 5 नहीं बल्कि 8 होंगे। 4 सोमवार जुलाई में होंगे और 4 अगस्त के महीने में पड़ेंगे। सोमवार 10, 17, 24 और 31 जुलाई को और 7, 14, 21 और 28 अगस्त को पड़ेंगे।
सावन माह में यह आएंगे व्रत-
सावन माह भक्ति व आराधना का माह है और इस अवधि में कई खास तीज-त्यौहारों से लेकर व्रत भी आ रहे है। इसमें 6 जुलाई को संकष्टी चतुर्थी, 13 जुलाई को कामिका एकादशी, 14 जुलाई को प्रदोष, 15 जुलाई को मासिक शिवरात्रि, 16 जुलाई को कर्क संक्रांति, 17 जुलाई को सावन अमावस्या, 21 जुलाई को पद्मिनी एकादशी, 1 अगस्त को पूर्णिमा व्रत, 4 अगत को संकष्टी चतुर्थी, 12 अगस्त को परम एकादशी, 13 अगस्त को प्रदोष व्रत, 14 अगस्त को मासिक शिवरात्रि, १६ अगस्त को अमावस्या, १७ अगस्त को सिंह संक्रांति, १९ अगस्त को हरियाली तीज, २१ अगत को नाग पंचमी, 27 अगस्त को पुत्रदा एकादशी, 28 अगस्त को प्रदोष व्रत, 30 अगस्त रक्षा बंधन, 31 अगस्त सावन पूर्णिमा व्रत, मंगला गौरी व्रत रहेंगे।
शिव के साथ सावन का यह माह गौरी को भी समर्पित रहता है। ऐसे में इस माह में गौरी की पूजा का भी महत्व है। हर मंगलवार को मंगला गौरी व्रत किया जाता ह। मान्यता है यह व्रत महिलाओं के करने से उनके पति एवं संतान दोनों के जीवन में मंगल होता है। जुलाई व अगत में ९ मंगला गौरी के व्रत आएंगे।
महादेव के अभिषेक का पौराणिक महत्व-
सावन के माह में भगवान शंकर की विशेष रूप से पूजा की जाती है। इस दौरान पूजन की शुरुआत महादेव के अभिषेक के साथ की जाती है। महादेव का अभिषेक करने के पीछे एक पौराणिक कथा का उल्लेख है कि सावन माह में ही समुद्र मंथन किया गया था। समुद्र मंथन के समय हलाहल विष निकलने के बाद जब महादेव इस विष का पान करते हैं तो वह मूच्र्छित हो जाते हैं। उनकी दशा देखकर सभी देवी-देवता भयभीत हो जाते हैं और उन्हें होश में लाने के लिए निकट में जो चीजें उपलब्ध होती हैं। उनसे महादेव को स्नान कराने लगते हैं। इसके बाद से ही जल से लेकर तमाम उन चीजों से महादेव का अभिषेक किया जाता है।
भगवान शिव को भक्त प्रसन्न करने के लिए बेलपत्र और समीपत्र चढ़ाते हैं। इस संबंध में एक पौराणिक कथा के अनुसार जब 89 हजार ऋषियों ने महादेव को प्रसन्न करने की विधि परम पिता ब्रह्मा से पूछी तो ब्रह्मदेव ने बताया कि महादेव सौ कमल चढ़ाने से जितने प्रसन्न होते हैं। उतना ही एक नीलकमल चढ़ाने पर होते हैं। ऐसे ही एक हजार नीलकमल के बराबर एक बेलपत्र और एक हजार बेलपत्र चढ़ाने के फल के बराबर एक शमीपत्र का महत्व होता है। मान्यता है कि बेलपत्र महादेव को प्रसन्न करने का सुलभ माध्यम है।