NEWS: पिछले साल अतिवृष्टि, तो इस वर्ष हुई अल्प वर्षा, सरकार ने नहीं दी किसानों को राहत, अन्नदाताओं को थी ये उम्मीद, पर अब...! पढ़े आजाद मंसूरी की खबर
पिछले साल अतिवृष्टि

चीताखेड़ा। पिछले वर्ष अतिवृष्टि और इस वर्ष हुई अल्प वर्षा ने किसानों के सपने चकनाचूर कर दिए। प्रकृति का मारा किसान कर्ज के बोझ तले दबा जा रहा है, लेकिन किसानों को ना सरकार और ना ही बीमा कंपनी राहत दे पा रही है। इस बार पैदावार अच्छी होने की उम्मीद थी पर खरीफ की प्रमुख फसल सोयाबीन की फसलों में पीला म्यूजिक रोग का जबरदस्त आक्रमण एवं इल्ली के प्रकोप तथा वायरस से पकाने से पूर्व ही सूखने लगी फैसले तथागत वर्ष की राहत राशि एवं फसल बीमा और ना ही मुआवजा मिला। प्रकृति और सरकार का मारा किसान बर्बादी के चौराहे पर आ गया है, लेकिन सरकार और प्रकृति के आगे मजबूर किसान ठगा गया।
खरीफ सीजन की फसल सोयाबीन, उड़द, मूंगफली, मक्का आदि फसलों में जबरदस्त पीला मौजेक वायरस व अन्य रोगों के कारण किसानों पर दोहरी मार पड़ रही है। बरसात की लंबी खेंच और पीला मोजेक वायरस के चलते समय से पूर्व ही सूख चुकी फसलों में सोयाबीन का दान भी नहीं पक पा रहा है। किसानों ने कर्जा लेकर महंगे दाम का बीज बोया था और अब लागत मूल्य तो ठीक उसे पर आज स्थिति ऐसी है कि निंदाई- गुड़ाई एवं खाद के रुपए भी नहीं निकाल रहे हैं। पहले से ही आर्थिक मंदी की मार झेल रहे किसानों को राहत राशि की जरूरत है,सभी क्षेत्रों से अब फसलों के सर्वे एवं मौज की मांग उठने लगी है।
किसानों का कहना है कि इस वर्ष उन्होंने महंगा बीज लाकर बोवनी की थी सीजन में प्रारंभ से ही प्रकृति की मार के सामने बरसात की लंबी खेंच के कारण फसले प्रभावित रही अब सभी क्षेत्रों में कुछ बारिश हुई तो काफी कम बरसात के कारण बीमारियों ने फसलों को दबोच लिया। बरसात की लंबी खेंच और बीमारी के कारण फसले पीली पड़कर पकाने से पूर्व ही सुखने गई है। किसानों की माने तो रबी की फसल के आंसू अभी सुखे भी नहीं है कि खरीफ से भी राहत की उम्मीद कुछ नहीं दिख रही है।
इनका कहना-
रबी की फसल भी कर्ज लेकर बाई थी उसका कर्ज उतरा ही नहीं की दूसरा कर्ज और हो गया। इस बार मानसून और पीला मोजेक वायरस एवं इल्लियों के कारण फैसले बर्बाद हो गई। 5 बीघा खेत में महंगे भाव की सोयाबीन की फसल बोई थी बरसात की लंबी खेंच और पीला मौजेक वायरस के कारण पूरी फसल नष्ट हो गई।- किसान कंवरलाल माली, ग्राम चीताखेड़ा।
पिछले वर्ष अतिवृष्टि से पूरी तरह फैसले बर्बाद हो गई थी, इस वर्ष सोयाबीन में बरसात की कमी के कारण और पिला मौजेक लग गया जिससे उत्पादन में 70% से भी अधिक नुकसान हुआ है।- किसान रामेश्वर गुर्जर, ग्राम देवियां ग्वाल।
20 बीघा खेत में सोयाबीन की फसल बोई शुरू से ही बरसात की लंबी खेंच और कम मात्रा में बरसात से फसलों में ग्रोथ नहीं बन पाया। फसलों में 65 से 70% नुकसान हो चुका है। शासन प्रशासन को चाहिए कि जल्द क्षेत्र में सर्वे कर किसानों को मुआवजा और फसल बीमा देना चाहिए।- किसान जगदीशचंद पाटीदार, ग्राम नायनखेड़ी।