BIG NEWS : जीवन रक्षक से लैस हो रही डायल 112, नीमच पुलिस के जवानों और पायलटों को मिला विशेष प्रशिक्षण, डॉक्टरों ने बताया जान बचाने का महत्वपूर्ण तरीका, पढ़े खबर

जीवन रक्षक से लैस हो रही डायल 112

BIG NEWS : जीवन रक्षक से लैस हो रही डायल 112, नीमच पुलिस के जवानों और पायलटों को मिला विशेष प्रशिक्षण, डॉक्टरों ने बताया जान बचाने का महत्वपूर्ण तरीका, पढ़े खबर

नीमच। मध्य प्रदेश पुलिस की आपातकालीन सेवा, डायल-112 अब केवल त्वरित प्रतिक्रिया ही नहीं, बल्कि जीवन रक्षक कौशल से भी लैस हो रही है। इसी कड़ी में पुलिस मुख्यालय के निर्देशानुसार एसपी अंकित जायसवाल एवं एएसपी नवलसिंह सिसोदिया के निर्देशन में पुलिस कंट्रोल रूम नीमच में डायल- 112 के कार्यरत पुलिस स्‍टाफ और एफआरवी पायलटों को CPR (कार्डियोपल्मोनरी रिसकिटशन) एवं BLS (बेसिक लाइफ सपोर्ट) तकनीक का प्रशिक्षण कराया गया।

यह प्रशिक्षण कार्यक्रम जिला अस्पताल नीमच के विशेषज्ञ चिकित्सकों के सहयोग से पुलिस नियंत्रण कक्ष नीमच में दिनांक 31 अक्‍टूबर एवं 01 नवम्‍बर को आयोतिज किया गया। ​जिला अस्‍पताल नीचम से पधारे डॉ. सतीश चौधरी (मेडिसिन विशेषज्ञ),  डॉ. राजेश धाकड़ (आपातकालीन चिकित्सा अधिकारी), डॉ. जन्मेजय शाक्या (अस्पताल प्रबंधक) द्वारा डायल 112 में कार्यरत पुलिस स्‍टाफ एवं एफआरवी चालकों को प्रशिक्षण प्रदान किया गया। चिकित्सकों ने डायल- 112 जवानों को सीपीआर या कृत्रिम श्वसन से संबंधित जानकारी दी, जो सड़क दुर्घटनाओं, हृदय गति रुकने या सांस न ले पाने जैसी आपातकालीन स्थितियों में व्यक्ति की जान बचाने का एक महत्वपूर्ण तरीका है। 

​इस प्रशिक्षण का मुख्य उद्देश्य डायल-112 कर्मियों को आपातकालीन परिस्थितियों में प्राथमिक उपचार देने के लिए सशक्त बनाना है, ताकि वे घटनास्थल पर पहुँचने पर किसी घायल या अस्वस्थ व्यक्ति की जान तुरंत बचा सकें। पुलिस जवानों को अब किसी भी आपातकालीन समय में हर परिस्थिति के लिए तैयार की जा रही है। प्रशिक्षण कार्यक्रम के दौरान कुल 33 पुलिस स्‍टाफ एवं डायल 112 के 32 वाहन चालकों को प्रशिक्षित किया गया।

​सीपीआर की महत्ता- 

सीपीआर एक महत्वपूर्ण प्राथमिक उपचार प्रक्रिया है जो किसी व्यक्ति की सांस या हृदय गति के रुकने पर उसकी जान बचाने में मदद कर सकती है। अक्सर यह देखा गया है कि किसी भी घटना या दुर्घटना में बेसुध पड़े व्यक्तियों को प्राथमिक उपचार के रूप में सीपीआर देने से अमूल्य राहत पहुंचाई जा सकती है। यह प्रशिक्षण डायल-112 जवानों को घटनास्थल पर पहुंचने पर एक बहुमूल्‍य "प्रथम उत्तरदाता" (फर्स्ट रेस्पॉन्डर) बना देगा।