NEWS : मनासा के श्री चारभुजानाथ मन्दिर पर छप्पन भोग का आयोजन,देर रात भजन संध्या भी,भक्तगण खूब झूमे नाचे,जाने आखिर क्यों लगाया जाता है भोग,पढ़े खबर में
मनासा के श्री चारभुजानाथ मन्दिर पर छप्पन भोग का आयोजन,देर रात भजन संध्या का आयोजन भी,
रिपोर्टर- मनीष जोलान्या........
मनासा। नगर के भड़जी गली मे श्री चारभुजानाथ मन्दिर पर मंगलवार को भगवान चारभुजा नाथ का महाभिषेक किया गया,वही बीती देर शाम छप्पन भोग का आयोजन रखा गया । देर रात 9 बजे भगवान श्री चारभुजा नाथ का दिव्य दरबार फूलो से सजाया गया व भव्य भजंन संध्या का आयोजन रखा गया ।
इस अवसर पर स्थानीय कलाकारो ने आकर्षक मनमोहक भजनों पर प्रस्तुतियां भी दी । देर रात तक चले भजंन संध्या के इस आयोजन मे मोहल्ले व नगर के युवाओ व महिलाओ ने बढ़चढ़कर हिस्सा लिया और नाचते झूमते हुए भजनों का आनंद लिए । छप्पन भोग आयोजन के अंत मे महाआरती कर प्रसादी वितरीत की गई ।
भगवान को 56 भोग तो लगाए जाते हैं। पर अक्सर सवाल यह उठता है कि भगवान को 56 व्यंजनों का भोग ही क्यों लगाया जाता है और इन 56 व्यंजनों में कौन-कौन सी चीजें शामिल होती हैं। आइए जानते हैं कि आखिर भगवान को 56 भोग लगाने के पीछे कौन सी कहानी हैं और क्या होते हैं 56 भोग.....
छप्पन भोग की कहानी -1-
इंद्र के प्रकोप से ब्रजवासियों को बचाने के लिए भगवान श्रीकृष्ण ने गोवर्धन पर्वत उठाया था तब उन्हें लगातार सात दिन भूखा रहना पड़ा था। इसके बाद उन्हें सात दिनों और आठ पहर के हिसाब से 56 व्यंजन खिलाए गए थे। माना जाता है तभी से ये ’56 भोग’ परम्परा की शुरुआत हुई।
छप्पन भोग की कहानी -2-
गौ लोक में श्रीकृष्ण और राधा एक दिव्य कमल पर विराजते हैं। उस कमल की तीन परतों में 56 पंखुड़ियां होती हैं।प्रत्येक पंखुड़ी पर एक प्रमुख सखी और बीच में भगवान विराजते हैं। इसलिए 56 भोग लगाया जाता है।
क्या है छप्पन भोग का ये गणित....।
कड़वा, तीखा, कसैला, अम्ल, नमकीन और मीठा ये छह रस या स्वाद होते हैं। इन छह रसों के मेल से अधिकतम 56 प्रकार के खाने योग्य व्यंजन बनाए जा सकते हैं। इसलिए 56 भोग का मतलब है वह सभी प्रकार का खाना जो हम भगवान को अर्पित कर सकते हैं।