BIG NEWS: लहराई अफीम की फसल, खेतों में बने किसानों के आशियाने, नशेड़िये तोते बने मुसीबत, तो किसानों ने उठाया ये बड़ा कदम, पढ़े नरेंद्र राठौर की ये खास खबर
लहराई अफीम की फसल
मंदसौर। मालवांचल की सबसे प्रमुख अफीम फसल में फूल के बाद अब डोडे निकलने लगे है तो वही किसानों की मेहनत और बढ़ती दिख रही है, अफीम फसल की बुवाई से लेकर निकालने में किसानों को एक छोटे बच्चे की तरह देखभाल करनी पड़ती है, ऐसा हम इसलिए कह रहे है क्यों की किसानों को अफीम फसल बोने के बाद बड़ी होने तक यानी पूरे 4 महीनें 24 घंटे तक खेतों पर रहकर खेतों में फसल की देखभाल करना पड़ती है।
आपकों बता दें कि, अफीम फसल में आने वाले डोडे कई बार खेतों से चोरी भी हो जाते है, एवं चोरी के साथ साथ किसान नशेड़ी तोतों से भी परेशान रहते है। अफीम के डोडे तोतों को बहुत पसंद है। जिससे तोते खेतों खड़ी फसल का नुकसान करते है, वहीं तोतों से फ़सल बचानें के लिए किसान खेतों ऊपर जालिया लागतें है, जिससे तोते फसल तक नहीं पहुंच पाते है। जिससे फसल का नुकसान नही होता है।
अफीम फसल 4 महीनें में तीन प्रॉसेस में पूरी होती है, सबसे पहले अफ़ीम फ़सल को बुवाई होती है, उसके बाद फसल में 3 महीनें में कली आती है, कली से सफ़ेद रंग का फ़ूल निकलता है वही फूल खिरने के बाद डोडा निलता है जों आप वीडियो में देख पा रहे होंगे फिर डोडा तैयार होता डोडा तैयार होने के बाद किसानों द्वारा मां कालिका माता और गणेशजी की पूजा अर्चना कर डोडों में चीरा लगाने का कार्य शुरू कर दिया जाता है, जिसके बाद डोडे से अफीम फसल निकलती है। जिसे किसानों द्वारा एकत्रित कर नारकोटिक्स को दी जाटी है।
गौरतलब है कि, अफीम फसल मध्य प्रदेश के मंदसौर एवं नीमच ज़िले में ही सबसे अधिक बोई जाती है, डोडो में चीरे लगने के बाद अफीम निकलने के बाद उन्ही डोडो से खसखस के दाने निकलते है, यह सब प्रोसेस में 4 महीने पूरे होते है। वही किसानों को अभी भी फ़सल की चिंता सता ती रहती है, क्यों कि यह फ़सल से निकली हुई अफीम नारकोटिक्स को देना व डोडाचूरा नाष्टिकरण करने तक किसान इन सब की देखभाल में ही लगे रहते है।