BIG NEWS : भामाशाह अवार्ड विजेता कैलाश धानुका, पहले टैक्स चोरी और फर्जी लोन मामले में आये सुर्खियों में, अब सरकारी जमीन पर कब्जा बना चर्चा का विषय...! क्या है पूरा मामला, पढ़े हमारी इस खास खबर में

भामाशाह अवार्ड विजेता कैलाश धानुका, पहले टैक्स चोरी और फर्जी लोन मामले में आये सुर्खियों में, अब सरकारी जमीन पर कब्जा बना चर्चा का विषय...! क्या है पूरा मामला, पढ़े हमारी इस खास खबर में

BIG NEWS : भामाशाह अवार्ड विजेता कैलाश धानुका, पहले टैक्स चोरी और फर्जी लोन मामले में आये सुर्खियों में, अब सरकारी जमीन पर कब्जा बना चर्चा का विषय...! क्या है पूरा मामला, पढ़े हमारी इस खास खबर में

नीमच। शहर के नगर सेठ माने जाने वाले भामाशाह अवार्ड विजेता कैलाश धानुका टैक्स चोरी और बोगस कंपनियों के नाम पर लोन मामले में पहले भी आयकर विभाग की टीम की कार्यवाही को लेकर चर्चाओं में आ चुके है। अब वे एक और नए मामले में चर्चा का विषय बने हुए है। इस बार भामाशाह धानुका द्वारा सरकारी जमीन पर अवैध अतिक्रमण करने और उसी जमीन पर प्लांट तक का निर्माण किये जाने की बात सामने आई है। इस मामले में सबसे बड़ी हैरानी की बात तो ये है कि, सालों से चले आ रहे इस कब्जे पर अब तक किसी ने भी कोई कार्यवाही नहीं की है।

क्या है पूरा मामला...!

भामाशाह कैलाश धानुका द्वारा जमुनियाकलां में सोयाबीन ऑइल का एक प्लांट लगाया हुआ है, जो कि कई बीघा में फैला हुआ है, लेकिन इसी प्लांट के बीचों-बीच सरकारी जमीन भी मौजूद है। अब आप भी सोच रहे होंगे कि, ये कैसे हुआ...? पर ये सच है। धानुका सालों से सरकारी जमीन पर कब्जा करे बैठे है। इसी मामले में शिकायतों का दौर भी चला, लेकिन इनके अच्छे खासे रसूख के आगे अब तक प्रशासन भी नतमस्तक ही नजर आया। जांचे भी हुई, कार्यवाही की प्रक्रिया भी आगे बढ़ी। नियम विरुद्ध कार्य करने पर एक अधिकारी को सजा भी मिली। पर इन महाशय का अब तक कुछ नहीं बिगाड़ा। अब भी कार्यवाही सरकारी दस्तावेजों में जारी है, जबकि ये मामला आज का नहीं सालों पुराना हो चूका है।

सरकारी जमीन पर अपना दावा भामाशाह कैलाश धानुका माननीय न्यायालय के समक्ष भी कर चुके है, और वहां इनके द्वारा ये कहा गया कि, इन्हें स्थानीय प्रशासन द्वारा सुना नहीं गया। ऐसे में इनकी सुनवाई का अवसर भी इन्हें दिया जाये, और जिला प्रशासन पर ही उचित निर्णय लेने का आदेश भी हुआ है, ऐसा जानकारी में आया है...! जांच प्रतिवेदन भी इस बीच पटवारी तहसीलदार के आ चुके है। जिसमे भी साबित हुआ है कि, अतिक्रमण धानुका जी का है। पर मामला फाइलों में ही अटका पड़ा है। 

इस मामले पर हमने अधिकारीयों से भी चर्चा की। जिन्होंने भी ये माना कि, अतिक्रमण धानुका जी का है, पर अधिकारी अभी किसी कार्यवाही की बात को वरिष्ठ अधिकारियों पर डालते हुए वें अपना पल्ला इस मामले से झाड़ते नजर आये। खेर जो भी हो...! आज नहीं तो कल हमारे सम्मानीय धानुका जी को सरकारी जमीन से अपना कब्ज़ा छोड़ना ही पड़ेगा...!क्योकि पेंच ही कुछ ऐसा है कि, जिम्मेदार इसे टाल तो सकते है, पर यहां उन्हें आज नहीं तो कल कार्यवाही करना ही है..! वही धानुका सोया प्लांट में सरकारी जमीन पर कब्जे की बात को लेकर हमने धानुका जी का पक्ष जानने को लेकर बात भी करना चाही, पर उनसे बात नहीं हो पाई...!