OMG ! स्कूल का नाम गंगा-जमुना, और अंदर धर्मांतरण का खेल, शिक्षिकाएं मिली कन्वर्ट, तो क्या हिजाब में हिंदू लड़कियां...? फिर कलेक्टर मयंक अग्रवाल ने क्यों दे डाली क्लीन चिट...! ओर ये खुलासा चौका रहा सबको, अब दमोह स्टोरी यू आई सामने...! पढ़े ये खबर
स्कूल का नाम गंगा-जमुना, और अंदर धर्मांतरण का खेल, शिक्षिकाएं मिली कन्वर्ट, तो क्या हिजाब में हिंदू लड़कियां...? फिर कलेक्टर मयंक अग्रवाल ने क्यों दे डाली क्लीन चिट...! ओर ये खुलासा चौका रहा सबको, अब दमोह स्टोरी यू आई सामने...! पढ़े ये खबर
डेस्क। द केरला स्टोरी फिल्म के बाद एमपी के दमोह जिले से चौका देने वाला एक मामला सामने आया। यहां मौजूद गंगा जमुना नामक स्कूल में धर्मांतरण कराया जा रहा है। राज्य बाल आयोग की टीम को तीन ऐसे शिक्षक मिले हैं, जिन्हें प्रलोभित करके मुस्लिम धर्म में परिवर्तित कराया। आयोग को इस स्कूल को विदेशी फंडिंग होने की भी आशंका है। घटना को देख तो ऐसा लगता है कि, द केरला स्टोरी की तर्ज पर गंगा जमुना स्कूल भी दमोह स्टोरी जैसी इबारत लिखना चाहता था। यह बात राज्य बाल आयोग टीम की रिपोर्ट कह रही है।
पूरे मामले पर एक नजर-
जानकारी के अनुसार बाल आयोग अध्यक्ष ओंकार सिंह के नेतृत्व में स्कूल का निरिक्षण किया गया। इसी दौरान पाया गया कि, महिला प्रिंसिपल और दो महिला शिक्षिकायें स्कूल ज्वाइन करने के बाद में कन्वर्ट हुई हैं। इनमें प्रिंसिपल अफसरा अपने नाम के पहले खरे सरनेम लगाती थी। पर अब शेख लगाने लगी।
वहीं शिक्षिका अनीता खान पहले अनीता यादव थी। एक और शिक्षिका तबस्सुम खान पहले जैन थी। हालांकि यह स्पष्ट नहीं हुआ कि, यह धर्म परिवर्तन क्यों हुआ। लेकिन बाल आयोग को इस बात की पूरी उम्मीद है कि, इन्हें परमानेंट करने का लालच देकर यह सब कराया जा रहा था।
सालों पहले से चल रहा था खेल-
इस स्कूल में करीब 1 हजार 208 विद्यार्थी है, यहां हिंदू लड़कियों को बीते साल 2012 से ही हिजाब पहनाया जा रहा था। ऐसा राज्य बाल आयोग के अध्यक्ष का कहना है।
आयोग की सदस्य मेघा पंवार के अनुसार छात्राओं ने बताया कि, स्कूल में चार तरह की इस्लामिक प्रार्थनाएं रोज होती थी। हिजाब न पहनने पर स्कूल का स्टाफ नाराज होता था। छठी से 11 वीं की हर छात्रा को हिजाब पहनना जरूरी था।
राज्य बाल आयोग ने स्कूल से रिकॉर्ड जप्त कर लिया है। जिसे आयोग को भेजा जाएगा। इधर, राष्ट्रीय बाल संरक्षण आयोग ने कई बिंदुओं पर जांच कराने के लिए दमोह पुलिस अधीक्षक को एक पत्र लिखा, जिसमें विदेशी फंडिंग की जांच भी कराई जाने की बात कही गई।
मान्यता हुई निरस्त, फिर भी कई सवाल हुए खड़े-
मामले में हैरानी की बात तो यह है कि, दमोह जिला प्रशासन शुरुवात से ही इस पूरे मामले में पर्दा डालने की कोशिश करता रहा। एक पोस्टर में गैर इस्लामिक लड़कियों को हिजाब पहने दिखाया गया था, जिसके वायरल होने की शिकायत जब बीजेपी प्रदेश कार्यसमिति के सदस्य सुरेंद्र शर्मा ने की, तो कलेक्टर मयंक अग्रवाल ने आनन-फानन में इस स्कूल को क्लीन चिट दे डाली।
बाद में हिंदू संगठनों ने उग्र प्रदर्शन किया और मुख्यमंत्री को भी इस मामले में हस्तक्षेप करना पड़ा। बाद में जब मुख्यमंत्री ने भी ट्वीट किया कि, स्कूल की मान्यता रद्द कर दी गई है, तो कलेक्टर मयंक अग्रवाल ने कहा कि, मान्यता रद्द नहीं की गई है, केवल उसे निरस्त किया गया। यह समझ से परे है कि, आखिरकार इस स्कूल पर दमोह के जिला प्रशासन की मेहरबानी किस वजह से है।