WOW ! नीमच की दो बेटियों ने छूआं बुलंदियों को, सफेद कार में करेगी सफर, सच-झूठ पर लेगी फैसला, माता-पिता की प्रेरणा ने ऐसे संवारा भविष्य, वंशिका और दीर्घा ने नीमच का नाम किया रोशन, जाने कैसे !... पढ़े ये खबर
नीमच की दो बेटियों ने छूआं बुलंदियों को, सफेद कार में करेगी सफर, सच-झूठ पर लेगी फैसला, माता-पिता की प्रेरणा ने ऐसे संवारा भविष्य, वंशिका और दीर्घा ने नीमच का नाम किया रोशन, जाने कैसे !... पढ़े ये खबर
(रिपोर्ट- अभिषेक शर्मा)
नीमच। कहते है कि मंजिल कोई भी हो, अगर ठान लिया जाए, तो उसे पार करना नामुमकिन नहीं है। इसी कहावत को नीमच शहर की दो बेटियों ने सच कर दिखाया है। दोनों बेटियों ने अपने साथ अपने परिवार का नाम तो रोशन किया ही है, लेकिन साथ ही नीमच जिले का नाम प्रदेश स्तर तक भी पहुंचाया है। आज नीमच शहर और यहां के वासियों का सीना गर्व से चौड़ा भी हो गया।
दरअसल, मध्य प्रदेश हाई कोर्ट द्वारा आयोजित सिविल जज वर्ग- 2 परिणाम मंगलवार यानिं की आज घोषित हुए है। जिसमे लाल माटी नीमच की दो बेटियों ने अपनी दिन-रात की मेहनत-लगन और परिवार के सहयोग से बाजी मारी। इस दौरान जिला व सत्र न्यायालय में न्याय विभाग के लघु वेत कर्मचारी अरविंद गुप्ता की बेटी वंशिका गुप्ता अपने पहले प्रयास ही में सिविल जज बन गई, इन्होंने प्रदेश में सातवीं रैंक प्राप्त की। वहीं शहर के उपनगर नीमच सिटी निवासी पुस्तक विक्रेता जितेन्द्र ऐरन की बेटी दीर्घा ऐरन भी जज बनी। इन्होंने प्रदेश में 34 वीं रैंक प्राप्त की।
गौरतलब है कि, प्रदेशभर के न्यायालय में सैकड़ों पदों के लिए लिखित परीक्षा आयोजित की गई थी। जिसमें देशभर के करीब 350 अभ्यार्थी मार्च महिने में उत्तीर्ण हुए। जिसके परिणाम आज घोषित हुए, और इन्हीं अभ्यार्थियों में दो नाम नीमच की बेटियों के भी जुड़ गए।
एक नजर यहां भी-
वंशिका के दादाजी रिटायर्ड, तो पिता लघु वेतन कर्मचारी-
आपकों बता दें कि, वंशिका के दादाजी रमेशचंद्र गुप्ता न्यायालय में ग्रेड- 1 में पदस्थ थे। सेवानिवृत्त होने के बाद वह मंदसौर में अधिवक्ता है। साथ ही वंशिका के पिता अरविंद गुप्ता वर्तमान में जिला न्यायालय में लघु वेतन कर्मचारी है। उनकी माता मीना गुप्ता शहर के निजी स्कूल में शिक्षिका है।
वहीं दीर्घा के दादाजी कन्हैयालाल ऐरन शहर के वरिष्ठ अधिवक्ताओं में से एक थे। दीर्घा ने नेशनल यूनिवर्सिटी रायपुर से विधि-स्नातक की उपाधि प्राप्त की। इसके बाद एनएचएआई में विधि सलाहकार के रूप में कार्यरत है। दीर्घा साल 2019 में सिविल जज की परीक्षा उत्तीर्ण कर चूकी थी, लेकिन बाद में वह इंटरव्यू में असफल रही। इसके बावजूद दीर्घा का हौसला कम नहीं हुआ, और फिर से उन्होंने कड़ी मेहनत की, और आज परिणाम आप सभी के सामने है। दीर्घा अपने दूसरे प्रयास में सफल हो गई।
माता-पिता का आशीर्वाद, प्रेरणा और कड़ी मेहनत के बाद सफलता-
आपकों बता दें कि, वंशिका बचपन से ही अपने घर में कोर्ट-कचहरी की बाते सुनती आ रही है। वह रोजाना अपने पिता के साथ उनकी जीतोड़ मेहनत को देखती आ रही है। इस पर उन्हें महसूस होता था कि, वह भी कुछ करें, और उनकी इच्छा थी कि, वह जज बनें। बस फिर क्या था... उसी के बाद उन्होंने अपने भविष्य को संवारना शुरू किया, और अब उसके परिणाम भी देखने को मिले।
इसी तरह दीर्घा ने भी अपने दादाजी को देखा, उनके काम से प्रेरणा ली, और फिर अपने जीवन का लक्ष्य साध कर उस पर चल पड़ी। इस बीच दीर्घा को उनके ने भी समय-समय पर प्रेरित किया। अब दीर्घा ने भी अपने सपने को साकार कर लिया।