BIG BREAKING : MP में चुनावी घमासान, BJP में परिवारवाद का फॉर्मूला लागू...! क्या टिकट देने वालों ने ही तोड़े नियम, कांग्रेस ने भी कसा तंज, पढ़े ये खबर
MP में चुनावी घमासान, BJP में परिवारवाद का फॉर्मूला लागू...! क्या टिकट देने वालों ने ही तोड़े नियम, कांग्रेस ने भी कसा तंज, पढ़े ये खबर
डेस्क। नगरीय निकाय चुनाव के टिकट वितरण में बीजेपी ने परिवादवाद का फॉर्मूला लागू किया। जबकि, इसे लेकर राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा ने बयान दिया था कि, परिवारवाद बिल्कुल नहीं चलेगा। बीजेपी ने इस चुनाव में जिला अध्यक्ष लेकर पूर्व पार्षदों की पत्नी और रिश्तेदारों को टिकट दे दिए, इस परिवारवाद पर कांग्रेस ने बीजेपी पर तंज कसा है। ये परिवारवाद भोपाल शहर में 85 वार्डों के टिकट वितरण में साफ नजर आया। कमाल की बात ये है कि, टिकट देने वालों ने ही ये फॉर्मूला लागू कर दिया। भोपाल बीजेपी जिला अध्यक्ष सुमित पचौरी के रिश्तेदार नीरज पचौरी को 78 वार्ड से पार्षद का टिकट मिला।
नीरज, सुमित पचौरी के चाचा का बेटा है, उसके पचौरी के पिता भी पूर्व पार्षद हैं। वहीं वार्ड 37 से पूर्व पार्षद हेमराज कुशवाहा की पत्नी वंदना कुशवाहा को टिकट मिला। वार्ड 52 से पूर्व पार्षद रामबाबू पाटीदार की पत्नी शीला पाटीदार को टिकट मिला। इसी तरह कई वार्ड में पूर्व पार्षद की पत्नियों और उनके रिश्तेदारों को टिकट दिया गया। बीजेपी के इस परिवारवाद पर कांग्रेस ने तंज कसा है, प्रदेश कांग्रेस मीडिया के अध्यक्ष के.के मिश्रा ने कहा कि कांग्रेस ने ऐसा नहीं किया। हमने यह तय किया था कि, जो भी उम्मीदवार जीतने वाला होगा। उसे टिकट दिया जाएगा।
के.के मिश्रा ने कहा कि, बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा ने परिवारवाद पर ब्रेक लगाने की बात कही थी। उनके निर्देश का पालन मध्य प्रदेश बीजेपी नहीं कर रही है। निकाय चुनाव के दौरान बीजेपी नेताओं के रिश्तेदारों, उनकी पत्नियों को ही टिकट दिया गया। उन्होंने आरोप लगाया कि स्थानीय स्तर पर ही नहीं, बल्कि प्रदेश और केंद्रीय स्तर पर भी बीजेपी के अंदर परिवारवाद है।
बीजेपी में परिवारवाद और बाहरी प्रत्याशियों को टिकट देने पर अब घमासान मच गया है, भोपाल ही नहीं, बल्कि प्रदेशभर में विरोध के स्वर सुनाई दे रहे हैं, बीजेपी प्रदेश मुख्यालय में भी लोगों ने विरोध दर्ज कराया। इधर, प्रदेश बीजेपी प्रवक्ता नेहा बग्गा ने कांग्रेस के आरोप को खारिज करते हुए कहा कि, बीजेपी में नहीं, बल्कि कांग्रेस के अंदर परिवारवाद पनप रहा है। बीजेपी जमीन से जुड़े अपने कार्यकर्ता और नेता को टिकट देती है, निकाय चुनाव में भी पार्टी ने तमाम नियम और प्रावधान को ध्यान में रखकर ही टिकट दिए।