NEWS : मानव जी व नई विधा हमेशा से ही हिन्दी की बहुत अच्छी पाठशाला, ''बाऊजी'' हमेश दिल से जुड़े रहेंगे, पढ़े राजू नागदा ''दास्सा'' की कलम से

मानव जी व नई विधा हमेशा ही हिन्दी की बहुत अच्छी पाठशाला

NEWS : मानव जी व नई विधा हमेशा से ही हिन्दी की बहुत अच्छी पाठशाला, ''बाऊजी'' हमेश दिल से जुड़े रहेंगे, पढ़े राजू नागदा ''दास्सा'' की कलम से

नई विधा के संस्थापक आदरणीय प्रकाश जी मानव के ब्रह्मलीन होने की सूचना मिली जब मैं बाहर था। जैसे ही यह खबर मुझ तक पहुंची, मैं स्तब्ध रह गया। नई विधा से मेरे परिवार का गहरा नाता जुड़ा हैं। आदरणीय प्रकाश मानव के सानिध्य मैं नई विधा मेरी पत्रकारिता की एक लम्बी पाठशाला ही नहीं रही बल्कि मेरे अनुज मंगलेश नागदा ने भी मेरे से पूर्व करीबन 8-9 सालों तक इसी संस्थान पर मशीन ऑपरेटर के रूप में अपनी सेवाएं प्रदान कर ऊंचाई प्राप्त की।

वैसे नई विधा पर मेरा दाखिला कराने मैं पत्रकार साथी रहे भाई राकेश कोठारी की बड़ी भूमिका रही। जिन्होंने ही मुझे आदरणीय मानव जी एवं राजेश जी मानव से मिलवाया। चूंकि पहले ही मेरे छोटे भाई मंगलेश नागदा के नई विधा नर्सरी में काम करने का फायदा भी मुझे मिला और शुरू में मुझे प्रूफ रीडिंग का कार्य सौंपा गया। 

लेकिन बाद में पत्रकार बनने की ललक को लेकर कभी कभार खबर भी लिखना शुरू किया। वहीं इस कार्य के लिए आदरणीय प्रकाश जी मानव व राजेश जी मानव ने मेरा हौंसला ही नहीं बढ़ाया बल्कि खुलकर लिखने अवसर भी दिया। साथ ही वहां रहे मेरे सीनियर पत्रकार साथियों राकेश कोठारी, युगल किशोर बैरागी, बसन्ती लाल राठौर, सुनील तंवर का भरपूर साथ मिला।

आदरणीय मानव जी समय की पाबन्दी को लेकर हमेशा सख्त रहे। जिस वजह से कईं बार मुझे उनकी डांट का भी सामना करना पड़ा। आदरणीय मानव जी कभी कभी ऊपर से कठोर रूख अख्तियार जरूर करते थे, लेकिन तुरन्त शांत होकर फिर प्यार से समझाते भी थे। नई विधा हमेशा ही हिन्दी की बहुत अच्छी पाठशाला रही हैं। मानव जी खुद हिन्दी पर अपनी अच्छी पकड़ रखते थे, वहीं सालों तक प्रूफ रीडिंग के रूप में अपनी सतत सेवाएं प्रदान करने वाले दादा आदरणीय स्व.घनश्याम जी बनोधा भी हिन्दी के अच्छे विद्वान थे।

मेरे प्रूफ रीडर से क्राइम रिपोर्टर बनने का श्रेय नई विधा को ही जाता है, और मेरे इस काम ऊंची उड़ान देने का या यूं कहूँ कि मुझे खुलकर लिखने का मौका आदरणीय मानव जी ने ही दिया। करीबन 8 महीनों तक मानव जी मुझे क्राइम खबरें लिखने के लिए प्रेरित करते रहे। लेकिन यह काम उस समय मेरे दो सीनियर साथियों बसन्ती लाल राठौर व सुनील तंवर द्वारा बखूबी किया जा रहा था। इस वजह से मैं इस काम को हाथ में लेने से घबरा रहा था।लेकिन बाद में जब बसन्ती लाल पर और अन्य खबरों की जबाबदारी बढ़ गई तो मानव जी मुझे बुलाया और लम्बी क्लास लेने के बाद अपराध से जुड़ी खबरें लिखने का मौका ही नहीं दिया बल्कि खुलकर लिखने का अवसर भी दिया। जिसके बाद नई विधा ने मुझे प्रूफ रीडर से  क्राइम रिपोर्टर की पहचान भी दी,जो कि वर्तमान तक जारी हैं।

किसी भी संस्थान पर कार्य करने में वहां के मालिक एवं स्टॉफ के साथ तालमेल बहुत ही जरूरी होता है। मैं इस मामले में खुश नसीब रहा कि मुझे हमेशा सबका स्नेह और सहयोग मिला।अब तक कि मेरी पत्रकारिता का लम्बा सफर (करीबन 12 साल) नई विधा ही रहा। जहां की बहुत सी खट्टी मिट्टी यादें हमेशा मेरे साथ जुड़ी रहेगी। 

साथ ही आदरणीय प्रकाश जी मानव (जिन्हें मैं बाऊजी कहकर ही सम्बोधित करता रहा हूँ...) हमेशा मेरे दिल से जुड़े रहेंगे। साथ ही आदरणीय मानव जी को विनम्र श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए ईश्वर से प्रार्थना करता हूँ कि उन्हें अपने श्री चरणों में स्थान दें।

सादर नमन...ॐ शांति

-राजू नागदा (दास्सा) पत्रकार, नीमच।