BIG NEWS: लापरवाही रही तो ताप बन बैठा काल, शिशु इकाई में दो नवजात की मौत, कहां हुई बड़ी चूक...! मामला- राजस्थान के इस जिले का, पढ़े रौंगटे खड़े कर देने वाली ये खबर

लापरवाही रही तो ताप बन बैठा काल, शिशु इकाई में दो नवजात की मौत, कहां हुई बड़ी चूक...! मामला- राजस्थान के इस जिले का, पढ़े रौंगटे खड़े कर देने वाली ये खबर

BIG NEWS: लापरवाही रही तो ताप बन बैठा काल, शिशु इकाई में दो नवजात की मौत, कहां हुई बड़ी चूक...! मामला- राजस्थान के इस जिले का, पढ़े रौंगटे खड़े कर देने वाली ये खबर

भीलवाड़ा। मातृ एवं शिशु इकाई में दो नवजात की मौत का प्रमुख कारण स्किन सेंसर हटने को माना गया। नवजात पर लगे प्रोब हटने से तापमान 35 डिग्री से अधिक हो गया। हीट बढ़ने से दोनों मासूम झुलस गए और उनकी मौत हो गई। यह खुलासा अजमेर से भीलवाड़ा जांच के लिए आए संयुक्त निदेशक इंद्रजीतसिंह ने किया। 

उनका मानना है कि, नवजात की स्किन पर लगे यह प्रोब कब व कैसे हटा यह एक जांच का विषय है। जबकि प्रोब में तापमान का टाइमर होता है जो 35-36 डिग्री तक आते ही मार्वर अपने आप बंद हो जाता है। ऐसे में कहां चूक हुई। यह इसका पता किया जा रहा है। घटना के बाद सिंह जांच के लिए भीलवाड़ा पहुंचे। उन्होंने एमसीएच के नर्सरी का निरीक्षण किया तथा वार्ड में लगे वार्मर की जानकारी ली। 

सिंह ने बताया कि, प्रारम्भिक जांच में सामने आया कि दोनों नवजात के प्रोब हट गए थे। इससे तापमान संभवत: 45 से 50 डिग्री तक पहुंचने से नवजात झुलस गए। हालांकि इंजीनियर को बुलाकर तकनीकी फॉल्ट की भी जानकारी ली जा रही है। इंजीनियर के अनुसार लाइन में तकनीकी फॉल्ट नहीं था। हालांकि इंजीनियरों ने भी अभी रिपोर्ट नहीं दी है। जांच के दौरान डॉक्टरों से भी राय ली गई थी कि आखिर चूक कहां हुई।

सिंह ने माना कि, हाई वॉल्टेज या मैनुअल मोड के कारण या फिर कर्मचारियों की लापरवाही के कारण इस तरह की घटनाएं लगातार बढ़ रही है। इसे रोकने के लिए यहां के अधिकारियों व डॉक्टरों को आवश्यक निर्देश दिए हैं।
जांच कमेटी की रिपोर्ट तय करेगी खामियां

सिंह ने बताया कि, एमजीएच अधीक्षक डॉ. अरुण गौड़ ने चार सदस्यों की जांच कमेटी का गठन किया है। इनमें डाॅ. कुलदीप सिंह, डॉ. अनुपम बंसल, डॉ. अनिल गुप्ता तथा नर्सिग अधीक्षक दिनेश सोनी शामिल हैं। इनकी रिपोर्ट आने के बाद ही खुलासा होगा कि नवजात की मौत का क्या कारण रहा है। कमेटी को गुरुवार शाम तक रिपोर्ट सौपनी थी। रिपोर्ट नहीं सौपने से जिम्मेदारी तय नहीं हो पाई।

नवजातों के इलाज के लिए बेबी वार्मर मशीन- 

एनआईसीयू में समय से पहल जन्मे बच्चों के इलाज की सुविधा होती है। ऐसे बच्चे जिनका वजन जन्म के समय 2 किलो से कम रहता है। जन्मजात पीलिया की शिकायत रहती है या गर्भ में ही बच्चा पानी पी लेता है। प्री मैच्योर बच्चे को बेबी वार्मर मशीन में रखा जाता है।