NEWS: जीरन नगर में पांच दिवसीय नानी बाई का मायरा कथा का समापन, सांवलिया सेठ बैलगाड़ी में हुए सवार, धूमधाम से मायरा भरने निकले, पढ़े खबर

जीरन नगर में पांच दिवसीय नानी बाई का मायरा कथा का समापन, सांवलिया सेठ बैलगाड़ी में हुए सवार, धूमधाम से मायरा भरने निकले, पढ़े खबर

NEWS: जीरन नगर में पांच दिवसीय नानी बाई का मायरा कथा का समापन, सांवलिया सेठ बैलगाड़ी में हुए सवार, धूमधाम से मायरा भरने निकले, पढ़े खबर

जीरन। भगवान श्री कृष्ण के अनन्य भक्त नरसी मेहता की भक्ति और करुण पुकार सुनकर भगवान सन 1632 में अंजार नगर में नानी बाई का मायरा भरने पहुंचे थे। भक्त नरसी के नानी बाई का मायरा भरने स्वयं परमात्मा सांवरिया सेठ अपने परिवार के सहित आते हैं। भक्ति में ईश्वर दौड़े चले आते हैं। नरसी मेहता के पास में मायरा भरने की व्यवस्था नहीं थी। अनन्य भाव से परमात्मा को याद किया उन्होंने दया की। 

उक्त प्रसंग का वर्णन करते हुए बालहा हनुमान मंदिर के पास गार्डन में पांच दिवसीय नानी बाई रो मायरो कथा के अंतिम दिन कथावाचक पण्डित चन्द्रदेव महाराज ने कहा कि, कृष्ण स्वयं जूनागढ़ से अंजाड़ रथ में विराजित होकर पहुंचे और नानी बाई का मायरा भरा। लेकिन जीरन में आयोजित नानी बाई रो मायरो कथा में मायरा भरने का अवसर मिला जीरन के लक्ष्मणसिंह भाटी को जिन्होंने बड़े ही धूमधाम से कथा में नानी बाई का मायरा भरा। 

कथा के अंतिम दिन रविवार को एक तरफ कथा पांडाल में पण्डित चंद्रदेव महाराज भक्तों को कथा का रसास्वादन करवा रहे थे। वही दूसरी तरफ डीजे और ढ़ोल की स्वरलहरियों के बीच आकर्षक सुसज्जित बैलगाड़ी में विराजित भगवान सांवलिया सेठ और उनके पीछे उनके भक्तगण मायरा की सामग्री लेकर चल रहे थे। डीजे पर मधुर संगीत में भजन चल रहा था गाड़ी में बिठा ले रे बाबा जाणो है नगर अंजार...। मायरा दशहरा मैदान स्थित लक्ष्मणसिंह भाटी के निवास से प्रारंभ हुआ, जिसमें सैकड़ो लोग शामिल हुए। मायरा हरवार नाका, प्रतापगढ़ दरवाजा, पाटीदार मोहल्ला, बस स्टेण्ड, सदर बाजार, चांदनी चौक, गायरी मोहल्ला चिताखेड़ा दरवाजा, पुराना थाना, नीम चौक, पिपल चौक होते हुए प्रतापगढ दरवाजा होकर कथा पांडाल में मायरा पहुंचा। 

यहा कथा के आयोजक मण्डल ने मायरा लेकर आए भगवान सांवलिया सेठ और लक्ष्मणसिंह भाटी व उनके परिवार सहित सैकड़ों लोगों का स्वागत किया। वैदिक मंत्रोच्चार के साथ लक्ष्मणसिंह भाटी ने परिवार के साथ मिलकर नानी बाई रो मायरा कथा में व्यास पीठ पर मायरा भरा। मायरे में चांदी के पायजेब, सोने का मंगलसूत्र, चांदी की बिछिया, सोने की नाक की बाली, कपड़े, चूंदड़, फल और मिठाई आदि लेकर आए थे। मायरे के बाद शेष कथा का श्रवण भी भक्तों ने किया। कथा समापन के बाद आरती कर महाप्रसाद का वितरण हुआ। इस अवसर पर आयोजक समिति द्वारा पण्डित चन्द्रदेव महाराज सहित सभी संगीत कलाकारों का साफा बांधकर स्वागत अभिनन्दन किया।