NEWS: संत रविदास जयंती पर विशेष कार्यक्रम, जोकचंद बोले- किसान, गरीब व पीड़ित वर्ग की मदद के लिए हर समय रहे तैयार, पढ़े खबर

संत रविदास जयंती पर विशेष कार्यक्रम

NEWS: संत रविदास जयंती पर विशेष कार्यक्रम, जोकचंद बोले- किसान, गरीब व पीड़ित वर्ग की मदद के लिए हर समय रहे तैयार, पढ़े खबर

पिपलियामंडी। रविदास ऐसे संत थे, जिन्होंने समाज में व्याप्त कुरीतियों को समाप्त करने का काम किया। एक जमाना एसा था, जब मानव को मानव नही समझा जाता था, इंसान में भेदभाव किया जाता था, एसे समय में रविदास ने ईश्वर भक्ति कर समाज में भेदभाव को समाप्त करने का काम किया। उनके किए गए कार्यों के कारण ही आज 600 साल बाद भी देश-विदेश में रविदासजी की जयंती मनाई जा रही है। यह बात किसान नेता श्यामलाल जोकचन्द्र ने मेघवाल समाज विकास परिषद मंदसौर के तत्वावधान में आयोजित संत शिरोमणि रविदास जयन्ती पर रविवार को आयोजित कार्यक्रम में कही। 

उन्होंने कहा कि, संत शिरोमणि रविदास जयन्ती पर यह संकल्प ले कि हम किसान, मजदूर, गरीब, पीड़ित वर्ग की मदद के लिए हर समय तैयार रहे। राजनैतिक पार्टियों के नेता केवल हमारा इस्तेमाल कर रहे है, समाज का उपयोग राजनैतिक दल डिस्पोजल के रुप में करने लगे है। हमें सचेत रहना है, जो दल व नेता हमारे कार्य करे, उसी को सपोर्ट करे। संत रविदास जयन्ती मनाना तभी सार्थक होगा, जब हम उनकी कही गई बातों को आत्मसात करे, उनके पद्चिन्हों पर चले। सांसद सुधीर गुप्ता ने मेघवाल समाज छात्रावास निर्माण के लिए 10 लाख रुपए, विधायक विपिन जैन ने 11 लाख रुपए, समाज के वरिष्ठ कचरुलाल पंडा ने 11 लाख रुपए देने व जिला पंचायत अध्यक्ष दुर्गा पाटीदार, उपाध्यक्ष अनुप्रिया यादव ने छात्रावास के लिए राशि देने की घोषणा की। 

इस अवसर पर मंदसौर नगर पालिका अध्यक्ष रमादेवी गुर्जर, मेघवाल विकास परिषद के प्रदेशाध्यक्ष प्रभुलाल सूर्यवंशी, जिलाध्यक्ष राधेश्याम गौरवी, मदन वर्मा, अनिल मीणा आदि ने अपने विचार रखे। अतिथियों ने समाज की प्रतिभाओं एवं वरिष्ठजनों का पुष्पमाला पहनाकर प्रमाण-पत्र देकर सम्मानित किया। प्रातः अम्बेडकर चौराहे से कलश यात्रा निकली जो, मुख्य मार्ग होती हुई संजय गांधी उद्यान पहुंची, यहां धर्मसभा का आयोजन हुआ। इस अवसर पर बालाराम सिसोदिया, रामेश्वर राठौर, रामप्रसाद राठौर, शांतिलाल पोखरवाल, राधेश्याम सिनम, सुन्दर बडगोत, मांगीलाल कमलवा, शोभाराम सूर्यवंशी, घनश्याम परम संचालन घनश्याम सिंघानिया ने किया। आभार दशरथ सूर्यवंशी ने माना।