NEWS: कृति की व्याख्यान माला हुई आज,पूर्व अपर मुख्य सचिव श्रीवास्तव किसे बताया भगवान तुल्य, पढ़े ये खबर

कृति की व्याख्यान माला हुई आज,पूर्व अपर मुख्य सचिव श्रीवास्तव किसे बताया भगवान तुल्य,

NEWS: कृति की व्याख्यान माला हुई आज,पूर्व अपर मुख्य सचिव श्रीवास्तव किसे बताया भगवान तुल्य, पढ़े ये खबर

नीमच कृति की व्‍याख्‍यानमाला में सेवानिवृत्‍त अपर मुख्‍य सचिव ने रखे शोधपरक विचार, कहा यह हमारी भारतीय परंपरा ही है, जहां वानरराज हनुमान ऐसे भक्‍त है, जो भगवान के समतुल्‍य पूजे जाते हैं, समूचे भारत वर्ष में भगवान राम के मंदिरों के बराबर ही वानरराज हनुमान के मंदिर है। भगवान हनुमान एक देव उत्‍पत्ति है और रूद्र के एकादश अवतार है।

उनकी महिमा और कार्य अतुलनीय है। हमारे देश में हनुमान मंदिरों के आसपास अप्रत्‍याशित रूप से वानरों की उपस्थिति रही है, जो कि अपने आप में अनूठी व अप्रत्‍याशित कही जा सकती है। यह बात मप्र शासन के सेवानिवृत्‍त अपर मुख्‍य सचिव मनोज कुमार श्रीवास्‍तव ने एक शोधपरक व्‍याख्‍यान में कही और उन्‍होंने विस्‍तार से मय तथ्‍यों के वानरराज हनुमान के सभी कार्यों की प्रासंगिकता को भी प्रतिपादित किया।

वे कृति की व्‍याखयानमाला में बोल रहे थे। शहर की साहित्यिक, सांस्‍कृतिक एवं सामाजिक संस्‍था कृति ने नगर पालिका परिषद नीमच के सहयोग से दशहरा मैदान स्थित टाउन हॉल में 14 मई रविवार की रात 8.30 बजे वानरराज हनुमान विषय पर व्‍याख्‍यानमाला का आयोजन किया। व्‍याख्‍यानमाला की शुरुआत में मां सरस्‍वती की मूर्ति के समक्ष पूजा-अर्चना व दीप प्रज्‍जवलन के साथ अति‍थियों ने की।

व्‍याख्‍यानमाला में मुख्‍य अतिथि के रूप में नीमच विधायक दिलीप सिंह परिहार, विशिष्‍ट अति‍थि नगर पालिका अध्‍यक्ष स्‍वाति गौरव चौपड़ा व कलेक्‍टर दिनेश जैन मौजूद रहे। मंत्रोच्चार के साथ स्‍वागत भाषण कृति अध्‍यक्ष इंजीनियर बाबूलाल गौड़ ने दिया। कार्यक्रम की भूमिका व रूपरेखा कार्यक्रम संयोजक कृति के पूर्व अध्‍यक्ष सत्‍येंद्र सिंह राठौड़ ने रखी। स्‍वागत-सत्‍कार के बाद मुख्‍य वक्‍ता सेवानिवृत्‍त अपर मुख्‍य सचिव श्रीवास्‍तव ने वानरराज हनुमान विषय को विस्‍तार से श्रोताओं के समक्ष रखा।

उन्‍होंने कहा कि वानर से आशय है वन में निवास करने एवं वन के फल-फूल एवं कंद-मूल को ग्रहण करने वाला। इस मान से ही हनुमान जी, बाली, सुग्रीव, अंगद सहित अन्‍य भी वानर है। वास्‍तव ने कहा कि विदेशों में हमारे हनुमान जी व हमारी संस्‍कृति के बारे में क्‍या चल रहा है, हमें इस पर भी ध्‍यान देना चाहिए। विदेशों में व पाश्‍चात्‍य संस्‍कृति में हनुमान जी को मंकी गॉड कहा जाता है, जो कि गलत है। हनुमान रूद्र के एकादश अवतार है, एवं देव उत्‍पत्ति है,

श्रीवास्‍तव ने आगे कहा कि हनुमान जी की बाल क्रीड़ाओं में भी जिज्ञासा थी और इसी कारण उन्‍होंने सूर्य को मुंह में ले लिया। साथ ही कई रहस्‍यों से पर्दा उसी समय उठा दिया। चीन एवं जापान में मंकी को लेकर कुछ कथाएं और मिथक है जो हमाने आराध्‍य हनुमान जी से बिल्‍कुल भिन्‍न है। हनुमान जी एक ऐसा व्‍यक्तित्‍व व देव है जो पूर्व से लेकर वर्तमान दौर तक बेहद सार्थक है और आगे भी रहेंगे। व्‍याख्‍यानमाला के पूर्व नगर पालिका अध्‍यक्ष स्‍वाति गौरव चौपड़ा व कलेक्‍टर दिनेश जैन ने भी अपने विचार व्‍यक्‍त किए। संचालन प्रवीण शर्मा ने किया। आभार कृति के सचिव डॉ विनोद शर्मा ने माना।

व्‍याख्‍यानमाला के अंत में सेवानिवृत्‍त अपर मुख्‍य सचिव श्रीवास्‍तव व कलेक्‍टर जैन को कृति परिवार ने स्‍मृति चिन्‍ह भेंट किए। व्‍याख्‍यानमाला में प्रमुख रूप से वास्‍तव, नीमच एसडीएम डॉ ममता खेड़े, मनोहर सिंह लोढ़ा, किशोर जेवरिया, ओमप्रकाश चौधरी, प्रकाश भट्ट, रघुनंदन पाराशर, डॉ माधुरी चौरसिया, पुष्पलता सक्‍सेना, निर्मला उपाध्‍याय, डॉ अक्षय राजपुरोहित, भरत जाजू, सीए डी मित्‍तल, नरेंद्र पोरवाल, नीरज पोरवाल, डॉ पृथ्‍वी सिंह वर्मा, डॉ राजेंद्र जायसवाल, महेंद्र त्रिवेदी, कमलेश जायसवाल, राजेश जायसवाल, डॉ जीवन कौशिक, ब्रजेश सक्‍सेना, पार्षद वीणा सक्‍सेना, वंदना खंडेलवाल, छाया जायसवाल, एडवोकेट कृष्ण कुमार शर्मा सहित अन्‍य प्रबुद्धजन विशेष रूप से मौजूद रहे।

कई संस्‍थाओं व लोगों ने किया श्रीवास्‍तव का स्‍वागत- वानरराज हनुमान विषय पर व्‍याख्‍यान देने आए श्रीवास्‍तव का कई संस्‍थाओं व लोगों ने स्‍वागत किया। पत्र लेखक संघ के केके जैन व टीम ने स्‍वागत किया। इसके उपरांत पत्रकारों की ओर से राजेश मानव, डॉ जीवन कौशिक, कपिल सिंह चौहान, दिनेश प्रजापति आदि ने पुष्‍पमाला से श्री श्रीवास्‍तव का स्‍वागत किया। ज्ञानोदय परिवार की ओर से अनिल चौरसिया व डॉ माधुरी चौरसिया ने उनका स्‍वागत अभिनंदन किया। एक निगाह में मनोज कुमार श्रीवास्‍तव का व्‍यक्तित्‍व-मनोज कुमार श्रीवास्‍तव सन् 1985 बैच के भारतीय राजस्‍व सेवा एवं सन् 1987 बैच के भारतीय प्रशासनिक सेवा के अधिकारी रहे हैं।

अविभाजित मंदसौर जिले के कलेक्‍टर रहे श्रीवास्‍तव मप्र शासन में अपर मुख्‍य सचिव के पद से सेवानिवृत्‍त हुए हैं। सेवाकाल में कई जिलों के कलेक्‍टर के अलावा आयुक्‍त जनसंपर्क विभाग, मुख्‍यमंत्री के निजी सचिव व अपर मुख्‍य सचिव ग्रामीण विकास एवं पंचायत विभाग रहे हैं एवं अप्रैल 2021 में सेवानिवृत्‍त हुए हैं। श्रीवास्‍तव की साहित्‍य एवं लेखन के प्रति गहरी रूचि है, उनकी अब तक 38 पुस्तकें प्रकाशित हो चुकी है एवं 18 पुस्तकें सुंदरकांड: एक पुनर्पाठ’ के नाम से लिखी है। 10 पुस्तकें कविताओं की है।

उनकी प्रमुख पुस्‍तकें गणेश: अलग अलग गणनाएं, यथाकाल, पंचशील, पहाड़ी कोरवा: व्यतीत, वर्तमान और विभव, अपराजिता, देवाधिदेव आदि है। श्रीवास्‍तव को साउथ बैंक्स, लंदन से अंतर्राष्ट्रीय सांस्कृतिक संबंध परिषद् और नेहरू केंद्र लंदन का अंतर्राष्ट्रीय वातायन पुरस्कार, संत समाज अयोध्या का रामकिंकर उपाध्याय पुरस्कार, भारत सरकार के राष्ट्रीय हिंदी संस्थान का विवेकानंद पुरस्कार, मध्यप्रदेश शासन का सर्वोच्च साहित्यिक पुरस्कार कबीर सम्मान, उर्वशी साहित्य पुरस्कार, अक्षर आदित्य पुरस्कार मिल चुके हैं।