STORY OF GANDHI SAGAR : एशिया की पहली मानव निर्मित झील गांधी सागर, निर्माण के समय नीमच जिले ने सहन किया ज्यादा नुकसान, सबसे कम बजट में बनकर हुई तैयार, देखते ही देखते पूरे हो गए 65 साल, पढ़े ये रिपोर्ट

एशिया की पहली मानव निर्मित झील गांधी सागर

STORY OF GANDHI SAGAR : एशिया की पहली मानव निर्मित झील गांधी सागर, निर्माण के समय नीमच जिले ने सहन किया ज्यादा नुकसान, सबसे कम बजट में बनकर हुई तैयार, देखते ही देखते पूरे हो गए 65 साल, पढ़े ये रिपोर्ट

नीमच/मंदसौर। सबसे कम बजट में बनकर तैयार होने वाली एशिया की पहली मानव निर्मित गांधी सागर झील आज 65 साल की हो गई है। मध्य प्रदेश और राजस्थान की सीमा पर चंबल नदी पर यह झील सबसे कम बजट और समय सीमा में तैयार होने वाली एशिया की यह पहली झील है। मालवा में यह हरित क्रांति ला रही है। समय पर और कम बजट में बनने के कारण इस झील को बनाने वाले चीफ इंजीनियर को पद्यश्री पुरुस्कार सरकार ने दिया था। एशिया की पहली मानव निर्मित झील के 65 साल के लंबे सफर में अब बिजली उत्पादन से लेकर सिंचाई योजनाओं का जनक और पर्यटन का हब बनने के साथ ही चीतों का घर भी बन गया है।

गांधी सागर बांध तत्कालीन मुख्य अभियंता एके चार, अधीक्षण यंत्री सीएच सांघवी, सिविल इलेक्ट्रिकल शिवप्रकाशम के नेतृत्व में यह बांध बना था। बांध की गुणवत्ता एवं एशिया के सबसे कम व्यय से बनने वाले बांध की समय सीमा मे पूर्ण होने पर चीफ इंजीनियर चार को पद्मश्री की उपाधि से सम्मानित किया गया था।

फैक्ट फाइल- 

1950 मार्च में बनी योजना, 1954 मार्च में पं. जवाहरलाल नेहरू ने किया शिलान्यास, 19 नवंबर 1960 में योजना पूरी, 06 साल बनने में लगे, 13.60 करोड़ की लागत, 4.79 करोड़ में बना जल विद्युत गृह, 23025 वर्ग किमी जल ग्रहण क्षेत्र, 1685 फीट बांध की लंबाई, 204 फीट बांध की ऊंचाई, 660 वर्ग किमी जलाशय का क्षेत्रफल, 7164.38 घनमीटर जल भंडार क्षमता जलाशय में, 564 जीडब्ल्यूएच ऊर्जा उत्पादन, 427.000 हेक्टेयर कृषि भूमि पर सिंचाई, 1312 फीट बांध की क्षमता

नीमच और मंदसौर के गांव हुए थे प्रभावित- 

बांध निर्माण के दौरान सबसे अधिक नुकसान नीमच जिले ने सहन किया। बांध के निर्माण के समय अविभाजित मंदसौर जिले के 228 गांव डूब के कारण खाली कराए थे। विभाजन के बाद 169 गांव नीमच, 59 गांव मंदसौर जिले के प्रभावित हुए। नीमच के रामपुरा में बांध से कई लोग विस्थापित हुए, हालांकि इससे कई क्षेत्र का भूमिगत जलस्तर भी बढ़ा। मंदसौर में संजीत और खड़ावदा तक विस्थापित गांवों को करना पड़ा था। अब भी बांध के समीप के गांवों को जलस्तर बढ़ने के बाद बारिश के दिनों में खाली कराया जाता है।