WOW ! उम्र की कोई सीमा नहीं : नीमच जिले से डॉ. कुमावत व पूर्व कलेक्टर अजय गंगवार ने किया MP का नाम रोशन, 14 हजार फीट की उचाई पर पहुंचे यहां, बर्फ के बीच सांसे भी फूली, पर हौसला नहीं हारा, पढ़े ये खबर
उम्र की कोई सीमा नहीं : नीमच जिले से डॉ. कुमावत व पूर्व कलेक्टर अजय गंगवार ने किया MP का नाम रोशन, 14 हजार फीट की उचाई पर पहुंचे यहां, बर्फ के बीच सांसे भी फूली, पर हौसला नहीं हारा, पढ़े ये खबर

नीमच। हौसला बुलंद हो तो किसी भी मंजिल को प्राप्त करने की और कदम बढ़ाए जा सकते हैं। इस कहावत को जिले के एक डॉक्टर फिजियोथेरेपिस्ट व पूर्व कलेक्टर ने वास्तव में चरितार्थ किया। देश भर के लोगों के स्वास्थ्य और जीवन शैली को सर्वोच्च प्राथमिकता देने व प्रोत्साहित करने के लिए हिमाचल प्रदेश में कुल्लू मनाली के लाहुल के पास स्थित हम्प्टा पास में पहली बार स्नो मैराथन का सफल आयोजन किया। बर्फ पर दौड़ते हुए धावकों की सांसे फूलने लगी। 14 हजार फीट की ऊंचाई पर बर्फीले पहाड़ के तापमान में दौड़ना हर किसी के लिए नया अनुभव था। जिसमे में नीमच जिले से फिजिकल थेरेपी एंड हेल्थ केयर क्लिनिक के फिजियोथेरेपिस्ट डॉ नरेंद्र कुमावत और जिले के पूर्व कलेक्टर, नगरीय विकास एवं आवास विभाग के सचिव अजय सिंह गंगवार ने हिस्सा लिया।
6 दिवसीय इस ट्रेक मैराथन में चुनौतियां भी कम नहीं रहीं। जब ट्रेक मैराथन शुरू हुई, तो ठंडा तापमान खून जमा रहा था। लेकिन जैसे जैसे धूप खिली तो ठंड से कुछ राहत मिली। पर कभी धूप निकलती तो कई दिक्कत बड़ा गई। आयोजन करने वाली संस्था ने मैराथन के लिए ट्रैक का चुनाव बेहतर तरीके से किया था। कई बार धावकों की सांस फूलने लगी। पर उन्होंने हिम्मत नहीं हारी, और ट्रेक के टास्क को पूरा किया।
नीमच जिले से फिजियोथेरेपिस्ट डॉ. नरेंद्र कुमावत और जिले के पूर्व कलेक्टर अजय सिंह गंगवार के अलावा देश भर के मैदानी राज्यों से मैराथन में भाग लेने आए प्रतिभगियों के लिए यह कड़ी परीक्षा रही। इस जगह को दुनिया का सबसे बेस्ट ट्रैक में शुमार किया जाता है, और देश ही नहीं बल्कि विदेशों से भी ट्रैकर्स यहां आते हैं। यह ट्रेक हिमाचल प्रदेश में कुल्लू मनाली के लाहुल के पास स्थित है। चारों तरफ से बर्फ की पहाड़ियों के बीच स्थित यह ट्रेक पूरा करने में सैलानियों को कई दिन लग जाते हैं।
वैसे इस ट्रेक को पूरा करने में ट्रैकर्स को करीबन 5 से 6 दिन लग जाते हैं। इस ट्रेक को पार करते हुए आप प्रकृति की अद्भुत खूबसूरती से रूबरू हो सकते हैं। यहां के मनोरम और सुरम्य दृश्यों को देख सकते हैं। हिमालय और प्रकृति की सुंदरता का करीब से दीदार कर सकते हैं। यह ट्रेक समुद्र तल से हजारों मीटर की ऊंचाई पर स्थित है।
इस बारे में डॉ. कुमावत व पूर्व कलेक्टर गंगवार ने बताया कि, हमारा मुख्य उद्देश्य लोगों को स्वास्थ्य के प्रति जागरूक करना है। यह बड़ा आयोजन है, जिसमें पूरे भारत के कई नागरिक आते हैं। यहां यह सिखने को भी मिलता है कि, अपने शरीर को ठीक से कैसे ऊर्जा दी जाए। हम खुद को स्वस्थ और तंदुरुस्त रख कर ही अपने राष्ट्र को सशक्त और समर्थ बना सकते हैं। खड़े पहाड़ों पर धुप- बारिश के दौरान और कई स्थानों पर बर्फ में चलना मुश्किल था। ऐसे में हम दोनों ने एक दूसरे का हौसला बढ़ाया। सही डाइट व प्रतिदिन अभ्यास ने शरीर को मजबूती दी।
9 हजार फ़ीट की उचाई पर हर सामान्य व्यक्ति को सांस लेने में तकलीफ आने लगती है, ऐसे में 61 वर्ष की उम्र में 14 हजार फिट की उचाई पर चढ़ना काफी रोमांचक रहा। इस ट्रैकिंग के दौरान आप हरियाली और कई तरह की वनस्पति भी देख सकते हैं। इस ट्रैक को पार करते वक्त आपको जंगलों से गुजरना पड़ता है। बीच-बीच में नदियों और झरनों को भी पार करना पड़ता है। सोचिए जिस ट्रैक में आपको नदी, जंगल, पहाड़, घास के मैदान और बर्फीले हिमालय को पार करना पड़े वो कितना अद्भुत और रोमांचकारी होगा।