NEWS : गौचर की भूमि पर दुकानें बनाने का प्रस्ताव पारित, जनसुनवाई और सीएम हेल्पलाइन पर भी शिकायत, फिर भी आदेश जारी, अब कोर्ट की शरण में ग्रामीण, ये मामला मल्हारगढ़ विधानसभा क्षेत्र का, पढ़े खबर
गौचर की भूमि पर दुकानें बनाने का प्रस्ताव पारित

रिपोर्ट- नरेंद्र राठौर
पिपलियामंडी। मल्हारगढ़ विधानसभा क्षेत्र की ग्राम पंचायत भाटरेवास में गोचर की भूमि पर दुकाने बनाने के आदेश के खिलाफ ग्रामीणों ने उज्जैन कमिश्वर व हाईकोर्ट इंदौर में अपील की है। ग्रामीणों का आरोप है कि भूमाफियाओं ने सांठ-गांठ कर बेशकीमती जमीन को हथियाने के लिए पंचायत को सहारा बनाया और वर्तमान में उस पर दुकानों का कार्य शुरु कर दिया है। आठ दुकानें बनाई जाने की परमिशन लेकर 10 दुकानें बनाई जा रही है। ग्रामीणों ने बताया जनसुनवाई, सीएम हेल्पलाइन व जनप्रतिनिधियों से भी गुहार लगाई लेकिन न्याय नही मिला। अब न्यायालय की शरण ली है।
आपको बदा दें कि उक्त गांव मल्हारगढ़ विधानसभा क्षेत्र का है, यहां से विधायक जगदीश देवड़ा प्रदेश के डिप्टी सीएम है, लेकिन ग्रामीणों की सुनवाई नही हो पा रही है। ग्रामीणों का यह भी आरोप है कि 2 आरी पर निर्माण की अनुमति ली और तीन आरी पर निर्माण कार्य किया जा रहा है। जानकारी के अनुसार मंदसौर जनपद पंचायत की ग्राम पंचायत भाटरेवास में गोचर भूमि पर प्रस्तावित व्यावसायिक शॉपिंग कॉम्प्लेक्स निर्माण को लेकर विवाद गहराता जा रहा है। एक ओर अपर कलेक्टर मंदसौर ने 12 अगस्त 2025 को आदेश जारी कर ग्राम की शासकीय भूमि सर्वे नं. 141, रकबा 1.150 हेक्टेयर (चरागाह भूमि) में से 0.02 हेक्टेयर भूमि को शॉपिंग कॉम्प्लेक्स निर्माण हेतु आरक्षित कर दिया, वहीं दूसरी ओर ग्रामीणों ने इस आदेश के खिलाफ आवाज उठाई है।
ग्राम पंचायत भाटरेवास द्वारा व्यापारिक गतिविधियों को बढ़ावा देने और पंचायत की आय बढ़ाने के उद्देश्य से 8 दुकानों वाले शॉपिंग कॉम्प्लेक्स के निर्माण की मांग की गई थी। इस पर मुख्य कार्यपालन अधिकारी जनपद पंचायत मंदसौर ने तकनीकी स्वीकृति प्रदान करते हुए लगभग 18 लाख रुपये की लागत से निर्माण की अनुशंसा की। तहसीलदार धुंधडका द्वारा प्रस्तुत प्रतिवेदन में बताया गया कि संबंधित भूमि पर एक छोटे हिस्से 10 बाय 10 फीट पर अतिक्रमण है, जबकि शेष भूमि खाली है। साथ ही यह भी उल्लेख किया गया कि आरक्षित भूमि पर निर्माण से ग्राम की चरागाह भूमि पर कोई प्रतिकूल असर नहीं पड़ेगा। इसी आधार पर अनुविभागीय अधिकारी और अपर कलेक्टर ने 0.02 हेक्टेयर भूमि को आरक्षित करने का आदेश पारित कर दिया।
ग्रामवासियों का कहना है कि यह भूमि गोचर (चरागाह) भूमि है और इस पर निर्माण करवाना अवैध है। ग्रामीणों ने 20 अगस्त 2025 को अपर आयुक्त, उज्जैन संभाग के समक्ष अपील दायर की और साथ ही आदेश पर स्थगन की मांग भी रखी। 29 अगस्त 2025 को ग्रामवासियों ने तहसीलदार धुंधडका को आवेदन देकर सरपंच और सचिव पर आरोप लगाया कि अपील लंबित होने और स्थगन आवेदन पर विचाराधीन होने के बावजूद भी वे निर्माण कार्य करवाने की कोशिश कर रहे हैं। ग्रामीणों ने निर्माण रोकने की मांग की और कहा कि जब तक उच्चाधिकारियों का अंतिम निर्णय नहीं आ जाता, तब तक कार्य बंद होना चाहिए। अब यह पूरा मामला उज्जैन संभाग के आयुक्त न्यायालय में विचाराधीन है। ग्रामीणों की आपत्ति और अपील पर सुनवाई के बाद ही तय होगा कि भाटरेवास में प्रस्तावित व्यावसायिक शॉपिंग कॉम्प्लेक्स बनेगा या नहीं।
शिकायतकर्ता राजू हारोड़ ने बताया गोचर की भूमि करीब 6 आरी है, लेकिन सांठ-गांठ कर पंचायत ने इस पर दुकानें बनाने का प्रस्ताव पास कर दिया। जबकि ठहराव-प्रस्ताव में भी ग्राम पंचायत पंचों की सहमति भी नही है। शासन-प्रशासन में बैठे कारिन्दों को करीब 250 ग्रामीणों ने हस्ताक्षरयुक्त आवेदन देकर शिकायत की, लेकिन कोई निराकरण नही हो पाया। उल्टा अपर कलेक्टर ने पंचायत के पक्ष में दुकान बनाने का फैसला दे दिया। इसमें भी आठ दुकानों की परमिशन लेकर 10 दुकानें बनाई जा रही है। दुकानें बनाने के बाद शेष जमीन पर भूमाफियों द्वारा कब्जा करने की तैयारी चल रही है। 20 ग्रामीणों ने उज्जैन कमिश्नर में अपील की है व हाईकोर्ट इंदौर भी याचिका दायर की है। राजू एक तरफ तो सरकार गोचर की भूमि से अतिक्रमण हटवाने की दावा कर रही है, वहीं दूसरी ओर प्रशासन खुद भूमि पर काम्पलेक्स बनाने की परमिशन देकर अतिक्रमण करवा रहा है।
ग्राम पंचायत सचिव शिवराजसिंह चौहान से सीधी बात-
-ग्रामीणों का आरोप गोचर की भूमि पर 2 आरी की परमिशन लेकर 3 आरी पर कार्य चलाया जा रहा ?
गलत बात है, पहले ही छह महिने से कार्य बंद था। परमिशन हुई उसके बाद गलत क्यों करेंगे, एक बार आग में घुस गए तो डबल क्यों घुसेंगे।
- इतने ग्रामीणों की आपत्ति थी तो यहां गोचर की भूमि पर काम्पलेक्स बनाने की क्या जरुरत पड़ी ?
केवल चार जनों की आपत्ति है, हस्ताक्षर तो मैं भी सो लोगों के करवा सकता हंू, मेरा क्या फायदा है, मैं तो झावल का रहने वाला हूं। पूरा गांव गरीब है, यहां विकास कराने के लिए यह निर्णय लिया है। 200 बीघा जमीन और गोचर की पड़ी हुई है।
- गोचर की भूमि पर दुकानें बनाने का क्या उद्देश्य है...?
इसका उद्देश्य है की गांव का विकास हो।
- ग्रामीणों का आरोप है कि बेशकीमती जमीन पर भूमाफियों से कब्जा कराने के लिए तैयारी चल रही है ?
सभी रिकार्डेड कार्य हो रहा है तो इसमें भूमाफियां क्या करेंगें। पूरे गांव की निगरानी में कार्य हो रहा है। 200 बीघा जमीन पर गौ अभ्यारण बनाएंगे और अतिक्रमण मुक्त कराएंगे।
- अब ग्रामीणों ने कोर्ट की शरण ली है...?
पूरा गांव खुश है, कुछ लोगों को आपत्ति है। दुकानें आकर आप भी देखो। विकास कार्य हो रहा है। कुछ लोग बेवजह शिकायत कर रहे है।