NEWS : जिला प्रशासन और इस संस्था का सहयोग, नीमच में यहां कार्यशाला का आयोजन, बांछड़ा समुदाय की किशोरियां हुई शामिल, इन विषयों पर किया जागरूक, पढ़े खबर
जिला प्रशासन और इस संस्था का सहयोग

नीमच। मानसिक स्वास्थ्य और तनाव प्रबंधन के महत्व को समझते हुए, बांछड़ा समुदाय की किशोरियों के लिए एक विशेष कार्यशाला का आयोजन किया। यह कार्यशाला जन शौर्य सोशल वेलफेयर एंड डेवलपमेंट सोसाइटी और जिला प्रशासन के सहयोग से आयोजित की। कार्यशाला का मुख्य उद्देश्य किशोरियों को मानसिक स्वास्थ्य के प्रति जागरूक करना और तनाव प्रबंधन के व्यावहारिक तरीकों से परिचित कराना था। विशेषज्ञों ने किशोरियों को तनाव के लक्षण, इसके प्रभाव और इससे निपटने के उपायों के बारे में जानकारी दी।
कार्यशाला में शामिल विषयों में आत्मविश्वास बढ़ाने, सकारात्मक सोच विकसित करने, योग और ध्यान के माध्यम से मानसिक शांति प्राप्त करने के तरीकों पर विशेष जोर दिया। प्रतिभागियों ने विशेषज्ञों के साथ खुलकर अपने सवाल पूछे और अपने अनुभव साझा किए।
विशेषज्ञों की राय-
कार्यशाला में शासकीय जिला चिकित्सालय से उपस्थित मनोवैज्ञानिक डॉ. अंकिता ने कहा, किशोरियों को मानसिक स्वास्थ्य के महत्व को समझना बेहद जरूरी है। आज की यह पहल उन्हें अपने जीवन में सकारात्मक बदलाव लाने में मदद करेगी। तनाव को कम करने के लिए योग, व्यायाम, खेलकूद आदि को अपनाए।
जिला विधिक सेवा अधिकारी हर्षित सेन द्वारा भी पोक्सो एक्ट को लेकर जानकारी साझा करी एवं किशोरियों को प्रेरित किया कि वे अधिक से अधिक अपने अधिकारों को पहचाने एवं उनके लिए लडे, ताकि समाज की कुरीतियों को मिटाया जा सके।
महिला बाल विकास के वन स्टॉप सेंटर से आई नुसरत खान द्वारा किशोरियों को अपने अन्दर चल रहे टकराव से कैसे संतुलन बनाये रखना है, एवं अपने साथ हुए किसी भी प्रकार की गलत हरकत को बर्दाश्त नहीं करना है एवं उसका खुल कर सामना करना है।
साथ ही यूनिसेफ के जिला समन्वयक संदीप द्वारा किशोरियों को लैंगिक समानता के बारे में बताया कि लड़के और लडकियां सभी समान है, सिर्फ समाज द्वारा पालन पोषण अलग होने से उनके बीच असामनता नजर आती है, जबकि लडकिया लड़को से कम नहीं होती, आज लडकियां भी देश का नाम रोशन करने में आगे है, और समाज की कुरीतियों को पीछे छोड़ आगे बढ़ रही है।
संगठन का दृष्टिकोण-
संगठन प्रमुख श्री आकाश चौहान ने कहा, बांछड़ा समुदाय की किशोरियों को सामाजिक और मानसिक रूप से सशक्त बनाने के लिए इस तरह की कार्यशालाओं की आवश्यकता है। हमारा लक्ष्य है कि ये लड़कियां आत्मनिर्भर और मानसिक रूप से मजबूत बनें।
उपस्थित प्रतिभागियों का उत्साह-
कार्यशाला में शामिल सभी प्रतिभागीयो के लिए प्रश्नोतरी का आयोजन भी किया जिसमें सबने बढ़ चढ़ कर हिस्सा लिया सगरग्राम से आयी बालिका राधिका द्वारा सबसे अधिक प्रश्नों के उत्तर दिए गए, प्रतिभागी बुलबुल ने कहा यह हमारे लिए बहुत उपयोगी रही। मुझे पहली बार समझ में आया कि मानसिक स्वास्थ्य भी उतना ही महत्वपूर्ण है, जितना शारीरिक स्वास्थ्य यह कार्यशाला समुदाय में मानसिक स्वास्थ्य के प्रति जागरूकता बढ़ाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम मानी जा रही है।