NEWS:- होरी हनुमान मंदिर के शिखर पर हुई 90 किलो कलश की स्थापना, बड़ी संख्या में पहुंचे श्रद्धालु, हेलिकॉप्टर द्वारा की गई पुष्पवर्षा, पढ़े खबर
होरी हनुमान मंदिर के शिखर पर हुई 90 किलो कलश की स्थापना, बड़ी संख्या में पहुंचे श्रद्धालु, हेलिकॉप्टर द्वारा की गई पुष्पवर्षा,
नांदवेल, प्रसिद्ध श्री होरी हनुमान सिद्ध पीठ धाम के नवनिर्मित मंदिर पर गुरुवार को सुबह 8 से 10 बजे के मध्य मंत्रोच्चार के साथ कलश आरोहण एवं ध्वजा दंड विधि-विधान से स्थापित किया, 90 किलो वजनी प्रधान मुख्य कलश व 1 क्विंटल 50 किलो वजनी ध्वजा दंड सहित नौ छोटे कलश स्थापित किए, प्रधान मुख्य कलश एवं ध्वजा दंड को क्रेन की सहायता से शिखर तक पहुंचाया, मुख्य कलश के बाद ध्वजा दंड स्थापित किया, इसके बाद सभी मुख्य शिखर से छोटे शिखरों पर कलश स्थापित किए, श्री होरी हनुमान धाम पर महोत्सव में शामिल होने के लिए बुधवार शाम से ही बड़ी संख्या में श्रद्धालु पहुंचने लगे थे, यह सिलसिला गुरुवार सुबह तक जारी रहा,
कलश मंदिर शिखर पर स्थापित होने तक बालाजी महाराज के जयकारों से पूरा परिसर गूंज उठा, गुलाल भी खूब उड़ा, साथ ही नवनिर्मित मंदिर शिखर पर कलश स्थापना के दौरान हेलिकॉप्टर द्वारा पुष्पवर्षा भी की गई, कार्यक्रम के दौरान हेलीपैड से मंदिर तक पूरे मार्ग पर श्रद्धालु ही श्रद्धालु दिख रहे थे, उनको परेशानी का सामना नहीं करना पड़े, इसके लेकर पुलिस प्रशासन व समिति के सदस्यों के साथ राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के स्वयंसेवकों व सामाजिक सेवकों ने पूरी व्यवस्था देखी, आयोजन की पूर्व संध्या बुधवार शाम को भी मंदिर परिसर में जमकर आतिशबाजी की गई,
धर्मालुजन ने दीपावली जैसा उत्सव मनाया, कलश आरोहण एवं ध्वजा प्रतिष्ठा आयोजन में कथा पंडाल में 1008 बाल ब्रह्मचारी बालसंत सिद्ध पीठ धाम घोटारसी मोखमपुरा द्वारा 51 हजार रुपए श्री होरी हनुमानजी धाम पर भेंट किए, समिति द्वारा संतश्री का स्वागत व सम्मान किया गया, महोत्सव के अंतर्गत रामायण मेला ग्राउंड में श्रीराम कथा का आयोजन जारी है, नौ दिवसीय श्रीराम कथा के सातवें दिन संत मुरलीधर महाराज ने भगवान श्रीराम के विवाह और तुरंत बाद वनगमन का आदेश मिलने की कथा सुनाते हुए कहा कि वे पुत्र भाग्यशाली होते हैं, जिन्हें अपने माता-पिता की आज्ञा का पालन करके वन में जाना पड़ता है,
कन्यादान से बड़ा कोई दान नहीं, श्रोताओं को सीख देते हुए महाराज ने कहा कि हर पिता अपनी पुत्री को दहेज देता है, अगर दहेज में देना हो तो एक रामचरितमानस जरूर देना चाहिए और कहना चाहिए कि रामचरितमानस को तीन बार जरूर पढ़ें, साथ ही दहेज प्रथा को बंद करना चाहिए, विदाई के बाद अयोध्या पहुंचने पर श्रीराम, लक्ष्मण, सीता का स्वागत नगरवासी करते है, फिर महाराजा दशरथ के गुरु वशिष्ठ को अपने मन की बात कहते हैं कि मुझे राम को युवराज पद देना है, लेकिन भगवान राम को जैसे ही इस बात का पता चलता है वह माता-पिता की आज्ञा का पालन करने के लिए लक्ष्मण जानकी सहित वन को निकल पड़ते हैं,
संत मुरली धर महाराज ने कहा की होरी बालाजी का मंदिर एक छोटे से गांव में इतना विशाल रूप से मंदिर का निर्माण हुआ है, वनवास के प्रसंग का वर्णन करते हुए महाराज ने तपस्वी का वेश धर के राम वन चले भजन भावपूर्ण तरीके से गाया कि श्रोताओं की आंखें सजल हो गईं,