BIG NEWS: नीमच के मूलचंद मार्ग पर गाय के साथ अप्रकृतिक संभोग, पुलिस की जांच के बाद न्यायालय ने सुनाया फैसला, अब आरोपी नागेन्द्र सालों तक रहेगा सलाखों के पीछे, जुर्माने से भी दिया दंडित, पढ़े खबर
नीमच के मूलचंद मार्ग पर गाय के साथ अप्रकृतिक संभोग, पुलिस की जांच के बाद न्यायालय ने सुनाया फैसला, अब आरोपी नागेन्द्र सालों तक रहेगा सलाखों के पीछे, जुर्माने से भी दिया दंडित, पढ़े खबर

नीमच। श्रीमती सोनल चौरसिया, प्रथम अपर सत्र न्यायाधीश द्वारा गाय के साथ अप्रकृतिक संभोग करने वाले आरोपी नागेन्द्र पिता भरतलाल पाराशर को धारा- 377 भारतीय दण्ड संहिता, 1860 के अंतर्गत दोषी पाते हुए 10 वर्ष के सश्रम कारावास एवं 10 हजार के जुर्माने से दण्डित किया।
लोक अभियोजक चंचल बाहेती ने जानकारी देते हुए बताया कि, घटना बीती दिनांक 25.09.2021 की रात 11 बजे की मूलचंद मार्ग स्थित फरियादी इमरान के घर के बाहर की हैं। घटना दिनांक को फरियादी की गाय उसके घर के बाहर थी, तथा पास में ही प्रवीण मित्तल व भूरा कुरैशी बातचीत कर रहे थे, तो उन्होंने देखा कि, एक व्यक्ति गाय की साथ प्रकृति की व्यवस्था के विरूद्ध इन्द्रीय संभोग कर रहा था।
प्रवीण मित्तल द्वारा इस घटना का विडियों बना लिया गया, तथा वह भूरा कुरैशी व इमरान तीनों आरोपी को पकड़कर उसे पुलिस थाना नीमच केंट ले गये, जहां आरोपी के विरूद्ध अपराध क्रमांक 476/2021, धारा- 377 भारतीय दण्ड संहिता, 1860 के अंतर्गत प्रथम सूचना रिपोर्ट पंजीबद्ध की। थाने में पदस्थ एसआई कैलाश किराड़े ने अनुसंधान के दौरान आवश्यक वैज्ञानिक व अन्य साक्ष्य को एकत्रित करके अनुसंधान पूर्ण कर अभियोग पत्र नीमच न्यायालय में प्रस्तुत किया।
अभियोजन द्वारा माननीय न्यायालय के समक्ष विचारण के दौरान फरियादी एवं घटना के चश्मदीद साक्षीगण के बयान कराते हुए आरोपी द्वारा गाय के साथ अप्रकृतिक कृत्य किये जाने के अपराध को संदेह से परे प्रमाणित कराते हुव आरोपी को कठोर दण्ड से दण्डित किये जाने का निवेदन किया गया।
माननीय न्यायालय ने आरोपी नागेन्द्र पिता भरतलाल पाराशर (42) निवासी ग्राम गरनाई, थाना नाहरगढ द्वारा किया गये कृत्य को समाज विरोधी मानते हुए उसे दया का पात्र नहीं माना, तथा उसे धारा 377 भारतीय दण्ड संहिता, 1860 के अंतर्गत 10 वर्ष के सश्रम कारावास एवं 10 हजार के जुर्माने से दण्डित किया। तथा अपील अवधि के पश्चात् जुर्माने की राशि 10 हजार रूपये को फरियादी को प्रतिकर के रूप में प्रदान किये जाने का आदेश पारित भी किया। न्यायालय में शासन की और से पैरवी चंचल बाहेती लोक अभियोजक द्वारा की गई।