OMG ! सिंगोली-रतनगढ़ में निर्माण कार्य, मिली आधी राशि, पूर्व में ठेकेदार ने लगाएं चक्कर, पर आज हाथ में पेट्रोल लिए पहुंचा नीमच जिला कलेक्टोरेट में, फिर हुआ ये...! पढ़े खबर और देखें वीडियों

सिंगोली-रतनगढ़ में निर्माण कार्य, मिली आधी राशि, पूर्व में ठेकेदार ने लगाएं चक्कर, पर आज हाथ में पेट्रोल लिए पहुंचा नीमच जिला कलेक्टोरेट में, फिर हुआ ये...! पढ़े खबर और देखें वीडियों

OMG ! सिंगोली-रतनगढ़ में निर्माण कार्य, मिली आधी राशि, पूर्व में ठेकेदार ने लगाएं चक्कर, पर आज हाथ में पेट्रोल लिए पहुंचा नीमच जिला कलेक्टोरेट में, फिर हुआ ये...! पढ़े खबर और देखें वीडियों

नीमच। जिला कलेक्टोरेट सभाकक्ष में मंगलवार को होने वाली जनसुनवाई में कलेक्टर मयंक अग्रवाल आमजन की समस्या सुनते है, और उनकी समस्याओं के निराकरण के लिए संबंधित विभाग के अधिकारियों को निर्देशित भी करते है। लेकिन मंगलवार को हुई जनसुनवाई के दौरान कलेक्टोरेट परिसर में एक चौकाने वाला मामला सामने आया। यहां एक व्यक्ति आत्मदाह का मन बनाकर अपनी मांगों को पूरा कराने पहुंचा। जिस पर अधिकारियों ने उसे समझाइश देते हुए आगामी दिनों में उसकी मांगों को पूरा करने का आश्वासन भी दिया। 

मिली जानकारी के अनुसार जिले की मनासा तहसील क्षेत्र के ग्राम बर्डिया निवासी ठेकेदार प्रेमसागर पिता लक्ष्मण कुमावत द्वारा बीते दिनों शासन द्वारा पारित सामूदायिक भवन, पेवर ब्लॉक और डामर रोड़ का निर्माण कार्य सिंगोली, रतनगढ़ और डीकेन तहसील में किया गया था। जिसकी एवज में उसे 50 प्रतिशत राशि का ही भुक्तान हुआ। जिसके बाद से ही प्रेमसागर अपनी बाकी बची राशि के लिए आवेदन और शासकीय कार्यालयों के चक्कर काट रहा था। 

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लंबे समय से बाकि बची राशि नहीं मिलने के कारण परिजनों में आक्रोश पनप गया, और फिर मंगलवार को प्रेमसागर के बेटा सुनील सरवा पेट्रोल लेकर जिला कलेक्टोरेट कार्यालय पहुंचा। जहां उसने आत्मदाह की बात कहते हुए एक बार फिर अपनी बाकि राशि दिलाने की मांग को अधिकारीयों के समक्ष रखा। फिर मामले के प्रशासन के वरिष्ठ अधिकारीयों ने गंभीरता से लिया, और अपर कलेक्टर नेहा मीणा ने पीड़ित से चर्चा की। 

चर्चा के दौरान अपर कलेक्टर ने इस पूरे मामले में तत्काल एक्शन लेते हुए संबंधित नगर परिषदों के अधिकारियों को मौके पर बुलाया, और पीड़ित पक्ष की समस्या का निराकरण तत्काल प्रभाव से करने के निर्देश दिए। इस पर आगामी 25 मई तक बाकि बची राशि मिलने का पीड़ित को आश्वासन दिया, और उसे समझाइश देते हुए सुरक्षित भेजा गया। पीड़ित ने भी अधिकारियों के आश्वासन पर अपनी सहमति जताई।