NEWS: समय कम-काम ज्यादा, शासन के नियम ही गलत, पटवारी चाहेंगे उसे मिलेगा लाभ, फसल बीमा इतना पेचीदा, की बीमा क्लेम मिलना असंभव, तरूण बाहेती का नुकसानी सर्वे पर बड़ा आरोप, पढ़े खबर
समय कम-काम ज्यादा, शासन के नियम ही गलत, पटवारी चाहेंगे उसे मिलेगा लाभ, फसल बीमा इतना पेचीदा, की बीमा क्लेम मिलना असंभव, तरूण बाहेती का नुकसानी सर्वे पर बड़ा आरोप, पढ़े खबर
नीमच। खरीफ की फसल कटाई के दौरान तीन दिन में 4 इंच बारिश ने फसलों को भारी क्षति पहुंचाई। शासन ने सर्वे के आदेश दिए, लेकिन विडंबना यह है कि, सर्वे के जो नियम तय किए हैं, वे ही गलत है। आखिर कैसे तीन दिन में पटवारी प्रत्येक खेत-खेत पर जाकर सर्वे करेंगे। ऐसे में तो पटवारी चाहेंगे उसी किसान को लाभ मिलेगा, जबकि सत्ता पक्ष भी मान चुका है कि बारिश से फसलें बर्बाद हो चुकी है। फिर सर्वे का ढकोसला क्यों किया जा रहा है। बीमा कंपनी के नए नियमों से किसानों को फसल बीमा मिलना असंभव ही प्रतीत हो रहा है। फसल बीमा के किसान विरोधी नए नियमों पर विधायक एवं जनप्रतिनिधियों की चुप्पी भी एक बड़ा सवाल है।
यह आरोप कांग्रेस नेता और जिला पंचायत सदस्य तरूण बाहेती ने लगाया है। फसल नुकसानी के सर्वे नियमों पर आपत्ति लेते हुए कांग्रेस नेता तरुण बाहेती ने कहा कि बारिश से पूरे जिले में सोयाबीन की फसल एवं अन्य फसलों को भारी क्षति पहुंची है। हालातों के मद्देनजर शासन बारिश से बर्बाद हुई फसलों का सर्वे करा रहा है, पर बड़ी समस्या है कि जिन नियमों के तहत सर्वे हो रहा है, वे नियम ही गलत है। क्योंकि शासन के निर्देशानुसार पटवारी को प्रत्येक खेत पर जाकर सर्वे करना है जो तीन दिनों में संभव ही नही है। ऐसे में पटवारी अपने कार्यालय पर बैठकर नुकसानी का आंकलन करेंगे। किसानों ने बारिश खत्म होते ही फसल काट ली या काटी हुई फसलों से सोयाबीन निकाल ली।
बाहेती ने कहा कि ऐसे में खाली खेतों में प्रशासन फसल नुकसानी का कौनसा सर्वे करा रहा है, बाहेती ने कहा कि सर्वे पटवारी हल्के अनुसार किया जाना चाहिए क्योंकि प्रत्येक खेत के सर्वे नीति में किसानों को सर्वाधिक नुकसान है । बाहेती ने कहा कि जबकि सत्ता पक्ष के नीमच और मनासा विधायक सीएम को पत्र लिखकर किसानों को राहत देने की मांग कर चुके हैं। साथ ही जावद विधायक एवं कैबिनेट मंत्री भी कह चुके हैं कि इस संबंध में उनकी मुख्यमंत्री से चर्चा हो चुकी है। इधर भाजपा जिलाध्यक्ष ने भी अपने बयान में कहा है कि बारिश से जिले में 100 प्रतिशत फसले बर्बाद हो चुके हैं। तो ये सर्वे क्यों करवा रहे है।
कांग्रेस नेता बाहेती ने कहा कि ज्यादा संभावना हैं कि सर्वे में लीपापोती की जाएगी । क्योंकि नेत्रकान रिपोर्ट में यही दावा किया गया है कि कटी फसल में 10 से 20 फीसदी का नुकसान हुआ है, जबकि खेतों में पानी भरने के कारण कटी हुई सोयाबीन पानी में डूब गई थी और फलियों में सोयाबीन के दाने अंकुरित हो गए थे। इसके अलावा खड़ी फसल में भी 100 प्रतिशत का नुकसान हुआ है, पर आरंभिक सर्वे किसानों का मखौल उड़ाने जैसा लग रहा है। प्रशासन का सर्वे खेत के हिसाब से चल रहा है। उन्होंने कहा कि क्षेत्र के विधायकगण किसानों का हितेषी बनने का अच्छा नाटक कर लेते हैं, उन्हें किसानों की इतनी चिंता है, तो वे सीएम को पत्र लिखने के बजाए किसानों के हितों में सीधे तौर पर मुख्यमंत्री से चर्चा कर किसानों को राहत दिला सकते हैं। श्री बाहेती ने मांग करते हुए कहा कि 2019 में जिस तरह कांग्रेस की कमलनाथ सरकार ने बगैर सर्वे के नुकसानी का मुआवाजा दिया था, उसी प्रकार शिवराज सरकार भी किसानों को नुकसानी का मुआवजा दें।
फसल बीमा कंपनी के नए नियम से बीमा मिलना असंभव -
कांग्रेस नेता तरुण बाहेती ने कहा कि फसल बीमा कंपनी के नियमों के चलते किसानों को इस वर्ष बीमा मिलने की उम्मीद नगण्य नजर आ रही है। बारिश से फसलों को पहुंचे भारी नुकसान पर 72 घंटे के अंदर फसल बीमा कंपनी के टोल फ्री नंबर पर नुकसानी की सूचना देनी थी या फिर बीमा कंपनी को जानकारी ईमेल करनी थी, लेकिन टोल फ्री नंबर लगातार इंगेज मिला और किसान ईमेल नही कर पाये। किसानों के लिए अन्य विकल्प के रूप में फसल बीमा एप पर जानकारी दर्ज कराने की बात भी प्रशासन ने किसानों से कही थी।
पर विडंबना यह है कि, फसल बीमा एप में शिकायत दर्ज कराने में इतनी पेचीदगी है कि किसान परेशान हो गए । हालात यह है कि जिले के 1.36 लाख किसानों में से सिर्फ 3 हजार किसान ही समय सीमा में फसल बीमा कंपनी को शिकायत दर्ज करा पाए, जबकि नुकसान 70 फीसदी से अधिक किसानों को हुआ है। सर्वे नियम में फसल बीमा कंपनी खड़ी फसल के खराब होने पर बीमा कंपनी और शासन के नियमों अनुसार नुकसानी नहीं मानी जाएगी । बल्कि बारिश में बही हुई फसलों को ही खराब होने का आधार का नियम है। ऐसे में क्रॉप कटिंग से आकलन किया जाएगा, लेकिन फसल ही कट चुकी है तो नुकसानी का आकलन भी कैसे हो पायेगा।
बाहेती ने कहा कि बीमा कंपनी के नियम इतने पेचीदा है कि किसान उन्हें समझ ही नही पाया । फसल बीमा नुकसानी जानकारी दर्ज कराने के लिए आरंभिक 72 घंटे में ही लोकेशन पर जाना जरूरी है। साथ की शिकायत दर्ज कराने पर किसान के मोबाईल पर ओटीपी आएगा,जो भी नेटवर्क की समस्या में उलझ कर रह गया है। किसान को फसल का फोटो भी फसल बीमा एप पर डालना है। एप की सबसे बड़ी खामी की यह एप सिर्फ अंग्रेजी में ही चल रहा है और हिंदी में नही चल पा रहा है। ऐसे नियम किसान के लिए संभव ही नही है। अब किसानों से फसल नुकसानी की जानकारी देने के लिए फार्म भरवाए जा रहे हैं, जो भी किसानों के लिए भरना आसान नहीं है। ऐसे में सभी किसानों को बीमा मिलना मुश्किल है।