NEWS: नागपंचमी पर्व आस्था और विश्वास का प्रतीक, ग्राम भाटखेड़ी के इस मंदिर में होती है सभी मनोकामना पूर्ण, कैसे हुई स्थापना, पढ़े खबर

नागपंचमी पर्व आस्था और विश्वास का प्रतीक, ग्राम भाटखेड़ी के इस मंदिर में होती है सभी मनोकामना पूर्ण, कैसे हुई स्थापना, पढ़े खबर

NEWS: नागपंचमी पर्व आस्था और विश्वास का प्रतीक, ग्राम भाटखेड़ी के इस मंदिर में होती है सभी मनोकामना पूर्ण, कैसे हुई स्थापना, पढ़े खबर

मनासा। ग्राम भाटखेड़ी में मंगलवार को समस्त ग्रामीणजनों व महिलाओं ने नागपंचमी पर आस्था व विश्वास से भगवान शेषावतार मन्दिर पहुंच पूजा आराधना की व महाप्रसादी वितरित की गई।

बताया जाता है भाटखेड़ी में सत्रहवीं शताब्दी के अंत में राजा दुर्जनसाल सिंह का शासन था। वे बहुत धार्मिक प्रवृत्ति के थे। अधिकतर समय पूजा पाठ में व्यतीत किया करते थे। राजा सालमसिंह के निधन बाद राजा 1785 में दुर्जनसालसिंह भाटखेड़ी के राजा बने। उन्होंने भगवान देवनारायण मंदिर के साथ शेषावतार मंदिर भी बनवाया।

शेषावतार नाग ने राजा दुर्जल साल सिंह को स्वप्न में आकर आदेश दिया कि मैं तेरी भक्ति से प्रसन्न होकर तेरे संस्थान में रहना चाहता हूं। मैं तेरे राज्य की सीमा पर आ गया हूं। सीमा पर पहुंच उन्होंने देखा के एक विशाल नागों का जोड़ा भाटखेड़ी सीमा पर विराजमान है। राजा दुर्जनसालसिंह नं तुरंत गांव में नगाड़े बजवाकर ग्रामीणों को इकठ्ठा कर सब पैदल उनके स्वागत को स्थानक तक पहुंचे व उनका स्वागत कर गांव की और पधारने का निवेदन किया।

भगवान शेषावतार गाँव की सीमा में आकर रुके। वहीं राजासाब ने उनका मंदिर बनवा दिया। उक्त जानकारी भाटखेड़ी राजघराने के दस्तावेज से प्राप्त हुई। मान्यता है शेषावतार मन्दिर पर सभी भक्तजनों की इच्छित मनोकामना पुरी होती है।